का हो रामास रे भाई?
आ रामरीज भाईया
अरे होली तो सुनते हुआ
आ हा
लेकिन ऐसन है कि इतने कचकचाई के चपचपवा जोन है कि कविता कही देता
हा
जोन इससे टिपस कमपणी में तो हंगामा मुझ जातने
अच्छा भाईया ला सुना
का करी है एसपी दरोगा।
का करी है करतार
जिकर घर में महरी ऐसन मिल गेली उसियाड
महरारू परिवारी से जूडते रंग बदली जाई
चाहे इजत बणल रही चाहे तपानी चली जाई
क्ुकोॗ़ शुयार चाहे तगर में हे ली जाई
तब जुट्टी होई तुहार
जिकर घर में महरी ऐसन मिल गेली उसियाड
यह बात समझा करके तेलिया मितवा चली गेली
वो करे बात वह धिन में उनके समधी भाई आ गेली
दुआरे पर आ के सोचत बात समधी राम का आ गेली
सहुन आ इन भी दरे से सोचत या टी
जबन हमें। समझा गई ले
बोललेक ओ मिना हाँ.. कैले बाटें कैसे दगरी कार
और जिकर घर में महरी ऐसन मिल गेली
तो यह बात सोचत सहुन आ इन एक तरकीफ समझ गेली
तो पिठाप के बहिरेली समधी के आगे पूछ गेली
मुखसे ते कुछ बोलली नाई
लगुशंका कईके कुद गेली
समधी राम कात बाटे रहे दे हम पूछ गेली
मालुम होगे समधी साहेब गेले
चिलुआ के वापार
और जिकर घर में महरी ऐसन मिल गेली
तो पिठाप के बहिरेली समधी के आगे पूछ गेली
मुखसे ते कुछ बोलली नाई
लगुशंका काईके कुद गेली
समधी राम कात बाटे रहे दे हम पूछ गेली
मालुम होगे समधी साहेब गेले
चिलुआ के वापार
और जिकर घर में महरी ऐसन मिल गेली
उसका बाप
तो जलीया मितवा कात बाप रेब बाप
इतना दुर से हम येली
उनसे नाई मुलाकात भेल
आ कवने काम से गेले
समधी एको नाई बाती भेल
समभाई लुगा उठादी हली
जब समधी के आगे गेल
काना लुगा सोज कर जली कोलू
बातल तरार
गहर में महरी ऐसन मिल गेली
उसका बाप
बहुत बढ़िया
लवन्डाबाद नाम तोरे बदेरे पदारखी
लवन्डाबाद नाम तोरे बदेरे पदारखी
लवन्डाबाद नाम तोरे बदेरे पदारखी
येली तलक बना नागिन हो लोट चोटी जुहार
काजल बलची मन रेखार
अभी आतो लवार
बिदी आसू बहकी की रिन्या
सोना गोरा चाम सोना गोरा चाम
लवन्डाबाद नाम तोरे बदेरे पदारखी
अरे चलिया जलल हीरा मोती हो चुनरी तोर पतंग
देहिया मिलहाव चलेलू गोरिया जस्बु जंग
अरे पीछे हम छोलल जमाना
लेही तोहरो नाम तोरे बदेरे पदारखी
अरे गाल सोहार कस मीरी होसे वठवा गुराज
रोमेच नरमा की सूरत देख तोहरे रुवाब
हमरे बदे बातू सजनी
चिराई चारो धाम चिराई चारो धाम तोरे बदेरे पदारखी
अरे यब ना सहाले जमान की हमें बोली कुछ बोले
लैला हमार हम मजनू चला हो जाई बोले
हीरा के राम पिछ यादा हम के बातू बाम तोरे बदेरे पदारखी