लक्ता नहीं बल मेरा
अप्रो किताबों में
एक लड़ा रोजाना
आता है फावों में
देख चैन सी रहती हूँ
शम्मां सी तिखलती हूँ
जाना हूँ कहीं मुझको कहीं आवार ही चलती हूँ
क्या हो गया मुझको
बादो ही बादो में
लड़ा नहीं बल मेरा
अप्रो किताबों में
एक लड़ा रोजाना
आता है फावों में
उसे दिखा नहीं महसूस किया है मैंने दिल ही दिल ने उसे से
जवार किया है मैंने
फावों से दिखा नहीं महसूस किया है मैंने
दिल ही दिल ने उसे से
जवार किया है मैंने
मुझे तो लगता है वो मेरा अपना है
मेरे ख्यालों में लगता नहीं दिल मेरा
नशावन के वो रहता है मेरी आपओं में
उसकी ही खुश्बो समा गई सासों में
नशावन के वो रहता है मेरी आपों में
उसकी ही खुश्बो
समा गई सासों में
वो मेरी दनिया है वो मेरा सपना है
उसकी तस्वीर बसी
मेरी निगाओं में लगता नहीं दिल मेरा
अपकों किताबों में
एक लड़गा रोजाना
आदा है खावों में
बेचेन सी रहती हैं
शम्मां सी पिखलती
हैं जाना हो कहीं मुझे कहीं आओर ही चलती हैं
क्या हो गया मुझे तो बादो ही बादो में
लगता नहीं दिल मेरा
अपकों किताबों में
एक लड़गा रोजाना
आदा है खावों में
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