जड़ हले हे जबन में
पुर्चाहा राजा
दिनो दिनो बितल रहे भाईले रहे गबना
नैहर वाला याभिले ना बिछले हो बिछावना
छोड़िके हमके चाड़ि गईलो
पिया राजधानी में
लागतावे मुर्चाहा राजा
मुर्चाहा राजा
मुर्चाहा राजा
लागतावे मुर्चाहा राजा
छोड़ोले जवनी में
लागतावे मुर्चाहा राजा
छोड़ोले जवनी में
लागतावे मुर्चाहा राजा
लागतावे मुर्चाहा राजा
छोड़ोले जवनी में
लागतावे मुर्चाहा राजा
छोड़ोले जवनी में
दीपका ते वारावा के
गडल बन जहरावा
रही रही खीचै ये
साडिके अचरवा
है राजा
दीपका ते वारावा के
गडल बन जहरावा
रही रही खीचै ये
साडिके अचरवा
काहे ऐसे कोरा तारा
काहे ऐसे कोरा तारा
सब कुछ जाने के
लागता वे मुर्चाह राजा चड़ाली जवानी में
लागता वे मुर्चाह राजा चड़ाली जवानी में
लागता वे मुर्चाह राजा चड़ाली जवानी में