ही मेरी ये जीवनदारी राम चलाता है
क्यों घवरा हूँ मैं
मेरा तो साम से जाता है
क्यों घवरा हूँ मैं
गम के बाद अलजब जब मण राते
गम के बाद अलजब जब मण राते
राम नाम तेरे ही जच जाते
बाद ना बाद बोला कर पाते
कभी दुबारा नज़न नहीं आते
संकटनाने से पहले
संकटनाने से पहले
राम वाता है
क्यों घवरा हूँ मैं
तेरा लोजा खेलाता है
उसका परिया उससे अक्षय
जानना परिया तू गुपुरी परे करणा
तू कुपूरी पूरी पूरी
क्यों गुपुरी प्रापेशिया
भूल्या executing
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ शाम ही मेरे जीवन का
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ शाम ही मेरे जीवन का
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ शाम ही मेरे जीवन का
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ
शाम ने मुझ पर दिया बहुत हुआ
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