सावत के चाँकर
में
अकड देखा वेलो कोई के घात रात बहरे बिता वेलो
भुला राजाजी,
खिस बर्हे कुछ देखाव तोहर लोला राजाजी
कुछ बेकरम
भुला राजाजी, भुला राजाजी
तोभे बुझवनी बलो महमो चोलिया तोहर जब याईन पसोन मुठलो लिया हमार
गला राजाजी, खिस
बर्हे कुछ देखाव तोहर लोला राजाजी
बहुत लगी नहीं है
मौलूम तू हो भुला राजाजी
हमरक बुझो साकी भुला राजाजी
किस बार ही पुछो ते हम तो हर लोला राजाजी