जैसे अटल हिमाले और जैसे अड़िग सुमेर ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे अभिचल खड़े कुबेरविधन हरण मंगल करनु सुनु शर्णागत किटे भक्त हेतु वितरणु करो धन माया काधेजै जै श्री कुबेर भन्दारी धन माया के तुम अधिकारीतेज पुञ्ज निर्भय भयहारीपवन विक समसम तनु बलगारीस्वर्ग द्वार की करे पहरेगारीसेवक इंद्र देव के आज्याकारीयक्ष यक्षणि की है सनवारीसेनापति बनै युद्ध के धनुधारीओहा यूधा बने शास्त्रघारेयुद्ध करे शात्रोपो मारेसदा विजय कभी नाहारेभगत जनों के संकट डारेप्रपीता महे स्वयन विघातापुलिस्ता बञ्ष के जन्न विख्याताविश्वा पिता इडविडाजी माताविभिषण भगत आपकी प्राताशिव चरणों में जब ध्यार लगायाभूर तपस्या करि तन को सुखायाशिव वर्दान मिले देवत्व पायाअमृत पालिक करि अमर्भी कायाधर्म ध्वजा सदा लिये हाथमेदेवी देवत्ता सब फिर साथमेगृतां बर्वस्त्र पहने गातमेबल शक्ति पूर्ण यक्ष जातमेस्वर्ण सिघासन आप पिराजेप्रशूल गदा हाथमे साजेशंख मृतंग नवारे वाजेगन्धर्वराग मधुर्स्वर्गाजेजौसठ योगिने मंगन घावेगृति सिथि नित भोग लगावेतास तास निसिर चात्र फिरामेयक्ष यक्षनी मिल चारणुना मेबिष्वियो मे जैसे पर्शूरामु बनी हैदेवन मे जैसे हनुमान बनी हैकुरुषो मे जैसे भिव बनी हैयक्षो मे ऐसे ही कुबेर बनी हैधक्तो मे जैसे प्रहलात बढी हैदख्षियो मे जैसे करुण बढी हैनावों में जैसे शेष बढ़े हैं वैसे ही भगत कुबेर बढ़े हैंकाधे धनुष हात में भाला कले फूलों की पहनी मालास्वर्ण मुकुट अरुदेह विशाला दूर दूर तक होई उजालापुबेर देव को जो अन्मे धारे सदा विजय हो कभी न हारेपिगडे काम बन जाये सारे अन्धन के रहे भन्वारेपुबेर गरीब को आप उधारे कबेर कर्स को शीहर उतारेपुबेर भगत के संकट तारेपुबेर शत्रू परैवीशेक्रधनी जो होना चाहे, क्यों नहीं यक्ष कुबेर मनाए, यहै पाठ जो पढ़े पढ़ाए, दिन दुगना व्यापार बढ़ाए,उद्प्रित को कुबेर भगामे, अडे काम को कुबेर वनामे, रोग शोक को कुबेर नषामे, कलंक कोड को कुबेर हटामे,कुबेर चड़े को और चढ़ादे, कुबेर गिरे को पुनः उठादे, कुबेर भाग्य को तुरंत जगादे,कुबेर भूले,को राह बता दे यासे की प्यास कुमेर बुजा दे भूखे की भूख कुमेर मिठा दे रोगी का रोग कुमेर घटा दे दुखिया का दुख कुमेर छुता देगाज की गोध कुमेर भरा दे बारो बार को कुमेर बढ़ा दे कारागार से कुमेर छुणा दे चोर ठगों से कुमेर बचा देगोध की इस में कुमेर जिता वे जो कुमेर को मन में दावे चुनाव में जीत कुमेर ख़णावेमन्त्री पद पर कुवेर विठावे।आठ करे जो उनित मन लाई,उसकी खलाः उसदा सवाई।जिसपे प्रसन्न कुवेर की माई,उसका जीवन चल सुखदाई।जो कुवेर का पाठ करावे,उसका बेड़ा पार लगावे।उचले घर को पुनह बसावे, शत्रू को भी वेत्र बनावे, सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई, सब सुख भोग पदारत पाई, प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई, मानस परिवार को बेर की इर्दिवारी,शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्ष राज कुबेर, रिदयम ज्ञान प्रकाश भर, करदो दूर अन्धेर,करदो दूर अन्धेर, अब जरा करो ना देर,शर्ण पड़ा हूँ,आपकी दया की गृष्टि फेर,नित्नेम कर प्रातै ही पाठ करो चाली सा,तुम मेरी मनो पामना पूरण कर जगदीशा,मगसर छटि हे मन्तरितु सम्वत चौसठ जान,अस्तुति चाली साश्य मही पूरण कीन कल्यान।
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