सुनो वासुदेव, पाँच गाउं तो क्या, सुमी की नोग पर रह सकें, भूमी का उतना भाग भी मैं उन पांडू पुत्रों को नहीं तोंगावरसो तक बन में घूम घूम, बादा बिंगनों को छूम छूम, सैधूप, गाउं बाली, पत्थर, पांडू, वाई, कुछ और नहीं कर, सोफा के न सब दिन सोता है, देखे आगे क्या होता हैमैत्री की राह बताने को, सब को सुमार्ग पर लाने को, दुरियोधन को समझाने को, भीशन बिद्वन्स बचाने को, भगवान हस्ति ना पुर्याए, पांडू का संदेशा लाएदो न्याय अगर तो वादा हो, पर इसमें भी यदि वादा हो, तो दे तो केवल पाँच क्राम रखो, अपनी धर्ती तमाम, हम पही कुछी से खाएंगे, परिजन पर असी न उठाएंगेदुर्योदन बैबिते न सका, असीस समाज की ले न सका, उल्टे हरी को बांधने चला, जो था आसादे सादने चला, जब नास मनुज पर चाता है, पहले भी वेक मर जाता हैहरी ने विशन हूँ कार किया, अपना स्वरूप विस्तार किया, डगमग डगमग दिक्कच डोले, बगवान कुपित होकर बोले, चंजीर बढ़ा कर साद मुझे, हाँ हाँ दुर्योदन बाद मुझेयह देख कगन मुझे मेले है, यह देख पवन मुझे मेले है, मुझे मेली नजंकार सकल, मुझे मेले है संसार सकल, आमरत फूलता है मुझे में, संहार जूलता है मुझेउत्याचल मेरा दिप्त भाल भूमंडल वक्ष थल विशाल भुजपरीदी बंद को गेरे है मैं नाक मेरू पग मेरे है दिप्ते जो क्रैनक शत्र निकर सब है मेरे मुख के अंदरद्रग होतो दृष्या काण देख मुझ मे सारा परमाण देख चरा चर जीव जगषर अक्षर नसवर।मुनुस्या सुर जाती अमरसद्गोटी सूर्य सद्गोटी चंद्रसद्गोटी सरित सर सिंदु मंत्रसद्गोटी विश्णु ब्रह्मा महेशीसद्गोटी जिसनो जलपती धनेशीसद्गोटी रुद्र सद्गोटी कालसद्गोटी दंडधर लोकपालजंजीर बढ़ाकर साधी नेहाँ हाँ दुरियोदन बादी नेभूलो का तल पाताल देखगत और अनागत काल देखयह देख जगत आदीशर चनियत एकमहा भारत कारण मर्शको से पटी हुई भू हैपैचान कहां इसमें तू हैअंबर में कुंतल चाल देखबद के नीखे पाताल देखमुठी में तीनो काल देखमेरा सवरूप विक्राल देखसब चनम मुझी से पाते हैफिर लोट मुझी में आते हैजीवा से कड़ती ज्वालसगन सासों में पाता चनमपवन पड़ जाती मेरी दिश्टी जिधर हसने लगती हैस्रिष्टी उदर मैं जबी मूदता हूँलो चंच्छा जाता चारो और मरनबांदने मुझे तो आया है चंजीर बड़ी क्या लाया हैयदि मुझे बांदना चाहे मन पहले तो बांदअनंत गगन सूने को साधन सकता है वह मुझे बांद कहा सकता हैहित बचन नहीं तूने माना मैत्री का मुल्य न पहचाना तो लेमैं भी अब जाता हूँ अंतिम संकल्प सुनाता हूँ याचना नहींअब रन होगा जीवन जया की मरन होगाटकराएंगे नक शत्र निकर बरसेगी भूपर परीपर करफण सिश नाग का डोलेगापिक्राल काल बूखोलेगा दुर्योदन रन ऐसा होगा फिर कभी नहीं जैसा होगाभाई पर भाई तूटेंगे विश्वान बूद से जूटेंगे बाये सिंगा सुख डूटेंगे सोफा के मनुचके फूटेंगे आखिर तू भूशाई होगा हिंसा का परदाई होगाथी सवासन सब लोग डरे चुप थे या थे बेहोश पड़े केबल दो नर ना घाते थे तृत्राष्ट विदूर सुख बाते देख कर जोड़ खड़े परमुदित निर्वै दोनों पुकार थे जै जैदोनों पुकार थे जै जैकर दो