Nhạc sĩ: SEEMA KAUSHIK
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तो भगवान सी कृष्ण से मेरे बर्बरीग जी जिनका नाम मेरे गोविन ने सुहरिदय रखा था
बर्बरीग जी को भगवान सी कृष्ण ने ज्यान दिया
देखो मेरे काना चाहते तो उन्हें कह सकते थे कि तुम मेरी आराध्ना करो मेरी पूज़ा करो
लेकिन मेरे गोहिन ने क्या कहा कि तुम जाओ कहा जाओ
मही सागर तीर्थ पर जाओ और वहाँ जा करके तुम मा सिद्धंबिका की भक्ती करो
जहाँ पर नौ दुरगाओं का वास है जहाँ पर भोलेनात का वास है
तुम उस शिद्ध शेत्र में जाओ और वहां तुम घंगोर तपस्या करो जिसकी वज़े से तुम्हें वो दिव्य शक्तियां प्राप्त होंगी जो इस धराधाम पर किसी को प्राप्त नहीं हो सकती।
देखो बिना शक्ति के जीवन अधूरा होता है, जैसे हम उठें, बैठें हमें शक्ति चाहिए, शाररिक शक्ति, वैसे ही मानसिक शक्ति चाहिए।
शक्ती धन की भी होती है
शक्ती मन को भी चाहिए
हर चीज में हमें क्या चाहिए
शक्ती
इसलिए नारी को ही
शक्ती का स्वरूप बताया गया है
अगर मेरे गोविंद चाहते
तो उन्हें भोले भावा की भक्ती के लिए भेच सकते
ब्रह्मा जी की भकती के लिए भेज सकते परन्त तु उन्होंने शक्ति के लिए
का ही चैन किया
और उनकी मां तो देखो माता बहुत जल्दी प्रसन
होती है चाहिए वह भगवान की मां हो कि
कि चाहे हमारी मां हो मां को तो केवल अपने बच्चों का प्रेम चाहिए और हम यदि प्रेम से मां के श्री
चरणों को नमस्कार करते हैं तो मां का विशेष कृपा प्रसाद हमें प्राप्त होता है है तो जैसे ही मेरे गोविन
ने कहा कि आपको तपस्चर्य करना है तुरंत मेरे सुहृदय बर्वरीक जी वहां से प्रस्तान करते हैं उस क्षेत्र
में जिसे श्राप दिया गया था भगवान धर्म के द्वारा अब वह समय आ गया था जब मही सागर तीर्थ का श्राप
समाप्त होने वाला था और वहां मेरे बर्वरीक जी जाते हैं मां सिद्धंभिका एवं नौ देवियों की तपस्या
प्रारंभ करते हैं यह कितना बड़ा और कितना अच्छा अवसर है हमारे लिए भी आज के युग में अक्सर ऐसा देखा
जाता है कि हर व्यक्ति के पास समस्या है ऐसा कोई जीव नहीं है जिसके जीवन में समस्या ना हो अगर आप
छोटे से बच्चे से भी पूछोगे कि हां भाई तू सुखी है तो वह बोलेगा नहीं जी मेरी भी समस्या है अक्सर आप किसी
युवा पुरुष से पूछिए तेरी क्या समस्या है तो वह नौकरी की चिंता बताएगा विवाह की चिंता बताएगा किसी
बड़े व्यक्ति के पास आप जाओगे तो वह यही चाहेगा कि मैं जब तक जीव मेरे बच्चे सुखी रहे हैं आज देखो वृद्ध
अवस्ता में आने के बाद व्यक्ति के सामने हम 56 करोड़ भी रखते हैं तो वह उसके काम में नहीं आएंगे उसके
काम में तो उसके परिवार का प्रेम ही आएगा कोई भी बुजुर्ग माता-पिता जब कभी हमसे मिलते हैं तो एक ही अरदास
करते हैं कि गुरुजी मेरे बच्चे सुखी रहें मेरे बच्चों का जीवन मंगल में हो कभी मैंने किसी बुजुर्ग
को यह कहते हुए नहीं सुनां कि गुरुजी मुझे कार मिल जाए मेरा बंगला हो जाए वह अपने लिए कभी नहीं जीते
विशाहि मेरा बाबा शाम केवल त्याग का ही देव है और इसकी जिसको आराधना करना है सर्वप्रथम उसे अपने मन
को मेरे बाबा के श्री चरणों में समर्पित करना होगा जब तक आप अपने मन को बाबा के श्री चरणों में
समर्पित नहीं करोगे तब तक आपके जीवन से चमतकारी कोई घटना नहीं होगी कई बार आजकल हम यूट्यूब देखते हैं जी आप एक काम करो ये करलो ऐसे हो जाएगा अरे जब आप मेरे बाबा की भक्ती करोगे ना तो आप जो चाहोगे मेरा बाबा आपको वो प्र�
दान करेगा
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