श्री कृष्ण में मुरारी वासी करेसें
वासी करेसें तीरितने में
वित रोम रोम में रमे हुए हैं
खेर डूड़ता क्यूं वैने में
वित रोम रोम में रमे हुए हैं
तिर ढूलता क्यूं वने मैं
शिरी कृष्ण मुराई वासी करें से
वासी करें से तीर दने मैं
जोटी मैं है चतर भूजी शिरी पर बसते शालि ग्राब
बालों में है बाल मुकं कणों पे कनया लाल
माते पे मुद सुतन बसते सेडियों पे बस ज्याम
माते पे मुद सुतन बसते सेडियों पे बस ज्याम
कलको पर है प्रेम उनका आखुम आनन दिबस
कोईयों में कलोल करते कालों पे गो भीन दे बस
आख में है नांदे जिसकी प्रेम रुपी गान दे बस
मुम है माधव दंप दमो दरे जी बेर टैसे जी नज़ेने मैं
श्री कृष्ण मुरारी वासिक रैसे वासिक रैसे तेरे दने में
लबों पर है लीला घड़ी ठकफुर मुर्ती प्यारी दे
कंट पे की शौरी बसते गर्दन पे गिरदारी दे
बाज वो पैबिज के वासी बगल मैं बिहारी दे
पोनी पे विराजे के सुगट्ट्या योपर गीराज
उंगलियों पे आगी नासी मुठी मैं मुरली का साज
पीटे पर व्यस्वर बसते बिगडे जो सवारे कास
लस नाडी लव हाट मास वे रमेरे से रामे बदने में
शीरी कृष्ण मुराई वासी करें से तीरी दैने में
जाती पर है छाया उनकी छैल और चबिली
शान पूचाओ पे कमलापती चिगर में लोजवती जान
हरते में हरी का वासा बेट में परमानन मान
नाटी में नारायन बसते कुले पे करतार देख
इंडरियों पे इश्वर भूदा कोवर दर का बार देख
रानों पर है राता कृष्ण रक्षा और प्यार देख
गोट्याप गोपाल चराई गौजिन बाले पने में
शिरी कृष्ण राई वासिक रैसें वासिक रैसें तेरी तने में
इंडिया पैपर सोत बसते टकडिये बैटे काई मेर
पाओ मैं है पदम नाव खाल मैं नाई खाली चेर
पंजेया यूपर पंजा जिसका दुश्मन बीटे डैना भेर
बेटी तक की एक माया तलवेर मैं तरलवकी नाद
प्लेस वर मेले इन माल पास रह से दिन और रात
रक्षा का जगदीश चंदर हर दम राक के शर्प हाथ
मोरे मुखट मन मोहन किया
मोरे ते बसे से तेरे मन में
सेरी कृष्ण मुराई वासिकरे से
वासिकरे से तीरी दैनी में