परु ग्राहराघो रुप अगर को जीवि करते लेे हैंकबी होत बहसीथहीकबी आँcloud में नमीथीवो जीवि था नेक� beetleवो मिठी好吃ी मिठी हर चलरुता है मुझे , कि अमलैकिलगे है मुझे सपना साथजिसने मुझे मिठायामिठाये उसका सायारहे ना कोई अपना गावकभी होत बहसीथीकभी आँcloud में नमीथीवो जीवि था , कैसा कि लागवो मिठी मिठी हर चलरुता है मुझे , कि अमलैकिलगे है मुझे सपना साथजिसने मुझे मिठायामिठाये उसका सायारहे ना कोई अपना गाव