Nhạc sĩ: Radha Choudhary
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अरे किया हुया जो समय मुपर अरे अरे घड़ी मौत की आई
अरे फासी लगी भगत सिंग को धर दीमात दहलाई
अरे किया हुया जो समय मुपर अरे घड़ी मौत की आई
अरे फासी लगी भगत सिंग को धर दीमात दहलाई
अरे किया हुया जो समय मुपर अरे
अरे किया हुया जो समय मौत की आई
दून्डा भी ना पावे अब चहे देख लिये टोह टोके आज भारत मा भी रुधन करे
एक बप्पर सेर न कोके बदी करन से कती नहीं डरे
ये गोरे अन्याई
पासी लगी भगत सिन्गो धर
तीमाता देहलाई
किया हुया जो समय मुकरर
योव्य करोوي भगदेश औज करमी न काहेदे
भगत सिङ्गधोने का बग्काओ दुक्खोसे कती हिल्यानाँ
बगत सिङ्गधोने का बग्काओ दुक्खोसे कती हिल्यानाँ
सफाई पेस कोई तो मौका कति मिल्याना तोड़ दिया खिलने से पहले पूरा फूल खिल्याना
कापूठी धरेती माता दुष तोका बोच ल्याना
हाल देखके एक बार मा की मम्ता बलखाई
बासी लगी भगत सिंग को धर तीमाता दहलाई
किया हुया तो समय मुकडर
गिने चुने से मानस जो देते जान देस पे
असली देस भगत वो जो हो जा कुर्वान देस पे
पहारत मा के लाल लुटाते अपने अर्मान देस पे
एक नहीं दस बीस लाल में
एक नहीं दस बीस लाल करी दूबल दान देस पे
अज देख लाल की कुर्वानी रै
दे से मन अंगडाई
घासे
तीमात दहलाई दिया हुया दो समय मुकरदर।
जाक्या हिंदुस्काने सभी में जोस भर्या थम्हारी।
पसके कमर मरद बैठे और ना रही पिछे नारी।
रही अधुरी भगत सिहिंग हमें सीचेंगे वो क्यारी।
फैके दूर निकाले अकडले अंग्रेजो की सारी।
जीत राम डागर करता रहे वीरों की कविताई।
फासी लगी भगत सिहिंग को धर्पी माता दहलाई।
दिया हुया दो समय मुकरदर।
धड़ी मोद की आई।
फासी लगी भगत सिहिंग को धर्पी माता दहलाई।
दिया हुया दो समय मुकरदर।