लकड़ हारे
कहे दे के बात
अरे आँ लकड़ हारे
छोरी एक बात बता
दो पूछ
इस बिया बान बनखंड के अंदर
हां
तु इतनी मीथी बोलने वाली कौन है कहां से आई है
लकड़ हारे
आप पेड़ के उपर बैठ के लकड़ियां काट रहे हो
और मुझे आप पसंद आ गयो हो
मुझे आप से कुछ ज़रूरी बात करनी है आप पेड़ से नीचे उठरिये
देख मेरा सुबह सुबह लकड़ी काटने का टाइम है और तु समय बरबाद मत कर
अगर तेरे को कोई बात कहनी है तो यहीं से कह दे मैं उपर से जबाब दे दूगा
बात तो मुझे बहुत कहनी है जब से मैंने आपको देखा है ना मेरे मन
में कुछ कुछ हो रहा है इसलिए पेड़ से नीचे उठरिये बहुत बहुत
प्राइवेट बात है अच्छा हाँ चल कहते है पनी बात सुनिये मेरी बात
पेड़ से तले उठरले
अच्छा हाँ
लेकिन मेरी बात भी सुनले
मैं निर्थन लकड़ हारा निभेना मारा साथ
तेरे को इस बात का नहीं पता कि मैं बिल्कुल गरीब बात में हूँ
कहते पनी बात के
पार नहीं पड़ेगी तेरी और मेरी जोड़ी कटा ही जम रही है अरे नहीं जमएगी
कटा ही जम रही है किसी राजपुमार के गेलां साथी कर ले ना करनी अच्छा हाँ
हाँ
हाँ
यो बहुँआ का जाड़ वयाग ना ना बड़ा कल्ड़ा वयाग रहे है
अरे तु पागल है तुझे मेरे जैसी छोरी नहीं मिलेगी
मैं चाहता भी नहीं अच्छा हाँ पर मैं तो तुससे ही शाड़ी करूँगी
मान ले मैं इक बीड़े आओँ
तो तथी नहीं मानू
पहथे
बेगे राजिया से