प्यारे बच्चों
आज की कहानी एक किसान और बक्री की है
किसान जंगल में लकडी काटने जाता और उस लकडी से खाना बनाता
एक दिन वो जंगल में दूर् निकल पड़ा
और उसने देका
एक बक्री हरा हरा खास खारी थी
उसने सोचा कि इस बक्री को अगर मैं अपने घर ले जाओं
तो मेरी पतनी बड़ी खुश होगी खुश।
जैसे ही वो बक्री की और बड़ा बक्री एक तब डर गई।
किसान बोला डरो मत मैं तुम्हें काटूंगा नहीं
तुम मेरे घर चलो मैं तुम्हें अच्छा अच्छा हरा हरा गास खिलाओंगा
तुम्हारी दिल से सेवा करूँगा। बक्री बोली पर लोग तो काट के खा जाते हैं
नहीं नहीं , मैं तुमारे साथ नहीं जाओंगी
किसां बोला विश्वास करो
मैं तुमें अपने बच्चों की तर अपने गर पे रखूँगा
ये बात सुन्ते ही पकृरी को हुआ विश्वास
और पकृरी चली किसाण के साथ
जैसे ही किसान
जंगल की ओर बढ़ा तो रास्ते में मिला शेर।
शेर बोला
जे बक्री मेरे हवाले कर दो मुझे भूख लगी है भूख।
किसान बोला मैं इस बक्री को खाने नहीं
दूँगा जे बक्री मेरी दोस्त है दोस्त।
अरे शेर दो कदम पीछे हट के बात कर शेर बोला
ए गिसाम मैं जंगल का राजा हूँ राजा मैं इस बक्री को खा जाओगा खा।
इतनी बात सुन्ते ही दो हाथी वहां पे आते हैं
और शेर को कहते हैं की यह बक्री को तुम खा नहीं सकते
ये तो किसान की दोस्त है.
जैससंते ही शेर दर गया.
और वहाँ से भाग गया.
खिसान ने हाथि को गले से लगाया
कि तुम दोनों की वज़ा से आज मेरी बकरी की जान बच गई
किसान ने हाथी को बहुत सारा फल
केला, सेव,
नारियल बहुत सारा फल खाने को दिया
और हाथी, बकरी बहुत खुश हुए
तो बच्चो आज की कहानी यहीं पर खतम होती है
केला