उगाभोगगलू
हरिदास साहित्यतलेन उन्दु प्रमुखप्रकार,
श्लोक अथवा मुक्तकदंते तोरुव,
तमम सरलमातु,
स्पष्ट निरूपनेय नुडिगट्टीन अन्ताह स्वरूपदिन्द,
शरणर वचनगलन्नु होलुव, उगाभोगगलू,
अरथपूर्णव,
बहु सत्वपूर्णव, आधपरबन्धगलु.
धार्मिक आचार,
आध्यात्मिक तत्व,
दैवस्तुतिगल अनतह विषयगल,
संख्षिप्त निरूपने इल्लिद,
कीर्तने, सुलाधिगलललि चदुरिद अनतिरुव भाववन्नु,
उटटागी कट्टिकुडुव रसगट्टगल अनतिवे, उगाभोगगलु.
अनुभव हच्चादंते,
मातु मितवागुत्तद यम्ब तत्ववन्नु,
दासरु तमम उगाभोगगल मूलक सत्यवागि सिद्धारे.
किच्ची नलगे बिद्ध कीटकनु नानैया,
अच्चूतने कायो,
अनंतने तेगेयो,
गोविन्द हरि पोरेयो.
पुरंधर विटल,
नी करुन उल्लवनु कानो.
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