हर बात अनोखी है
हर बात अनोखी है और ताज निराले है
हर बात अनोखी है और ताज निराले है
हर बात अनोखी है और ताज निराले है
बाजा तेरे मंगतों के अंदाज निराले है
आजा तेरे मंदों के अंदाज निराले है
लंगर तो वखाते हैं और शान से रहते हैं
अजमेर की गलियां में मंगते भी ये कहते हैं
अमजे से निकमों को बस आप सभाले हैं
अमजे से निकमों को बस आप सभाले हैं
एगर दिशे दोरा तू ये सोचल फिर आना
उस दर का गदा हूँ में सरकार का मस्ताना
वाजा जी मेरे हम को इस तरह सभाले हैं
वाजा जिन्रे हमको इस तरह समाले है
जब राज हकीतत को वाजा जिन्रे खोला है
पदमों पे जुका के सर ये पाल ये बोला है
अजमेर की गलियों में तैबा के उजाले हैं
अजमेर की गलियों में तैबा के उजाले हैं
पल्टा है मेरा भी धर बस आपके तुकडों पर
मैं जाता नहीं दर दर बस आपके तुकडों पर
मुशान से कहते हैं हम खाजा वाले हैं
यूशान से कहते हैं हम फाजा वाले हैं
इकरार गदाहु में फाजा के गदाओं का
ये फैज अनोका है मुर्शिद की अताओं का
सब काम हमारे अब फाजा के हवाले हैं
सब काम हमारे अभू वाजा के हवाले है
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