पजपिया की मैं हुँ दिवानी
चिष्टी रंग चड़ा बेठी
ख़जपिया की मैं हुँ दिवानी
चिष्टी रंग चड़ा बेठी
ऐसा नवाजा हिंदवली ने पाज़ा को अपना बना बेठी
ऐसा नवाजा हिंदवली ने पाज़ा को अपना बना बेठी
छोड़ दी मैंने सारी दुनिया ऐसी मसती च्छाई है
।
फजाली के शह्जादे हो
चिष्टनगर के राजा हो
लागि लगन है। कुछ से मुझे मैं सारे जहां को भूला बेटि
सारे जहाँ को बुला बैटी
लागी लगन है तुमसे मुझे मैं
सारे जहाँ को बुला बैटी
नैनों में अज मेरे नगरिया मुझे पे हुई रह्मत की नजरिया
तुमने भर दी मेरी जोली सदका अली का पा बैटी
ऐसा सखी लज़ पाल मिला है
सदका अली का मुझे को दिया है
किरपा नजरिया तेरी है खाजा
बी लें उनका तुमको पैच से की झभावसाषन है
तारिक न छोटे चिष्टी नगरियां बीटे यहीं पे सारी उमरियां
कहती
यही है तेरी दिवानी
नैनों में तुमको बसा बैठी
कहती यही है तेरी दिवानी
नैनों में तुमको बसा बैठी