सजक्के आईरे रहे
हमार धन हो उकरा गिनाना हमार लागेना मन हो
आज भैले रहे हाथ छुटी गईल मुरा सात न बुझाईना ए भैया
आज नाम होगे कजरी को जनी हमा सगडी मिलाईनी ए मैया
सेर्छ बले भाखोरा पुर्बाली काले मैया पीछे
पिले भी यही अधिर के धड़े कानु तन्ये देरी में भैया लागी गोहिल छटकान
आरे कुछ न बुझाला धिरी धली न दाराला कैसे धारी ए भैया
नाम होगे कजरी को जनी हमा सगडी मिलाईनी ए मैया
राकिष्न बिंदर नुप संजीत साजन हो कहती रहले या किर्नाही मानल हो
धिरी दिनला ख़ायी हो भैया इदें भी ए
धिरी को जनी हमा सगडी देनी लाईनी ए मैया
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