आर घड़ी खुद
खुद से उलजना है मुकदर मेरा
मैं ही कष्टी हूँ मुझी में है समंदर मेरा
मैं ही कष्टी हूँ मुझी में है समंदर मेरा
हर घड़ी खुद से उलजना है मुकदर मेरा
मैं ही कष्टी हूँ मुझी मेरा
मैं बर्सों से
किस से पूछूं कि कहा गुम हूँ मैं बर्सों से
हर जगा ढूंद तक फिरता है मुझी घर मेरा
हर जगा ढूंद तक फिरता है मुझी घर मेरा
अगा ढूंदता फिरता है मुझे घर मेरा।
हर घड़ी खुद से उलजना है मुकदर मेरा।
मुद्दते बीत गईं खाब सुहाने देखें।
मुद्दते बीत गईं खाब सुहाने देखें।
चागता रहता है हर नीद में बिस्तर मेरा।
चागता रहता है हर नीद में बिस्तर मेरा।
हर घड़ी खुद से उलजना है मुझे घर मेरा।
मुझी में है समन्दर मेरा
हर घड़ी खुद से उलजना है मुकदर मेरा