हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुई हुईहुई हुई हुई हुई हुई हुई खिच काटासाची बन के दिल्के दर्खका जर्चना मेरा माटाखिच काटाजितना तो दूर दूर जाए उतना ही गोड़ी दुख पाएशोर ना मचा ना तो घबरा भागी क्यों दोड़ी क्योंभागी क्यों दोड़ी क्यों दोड़ी चली गई तुने देखा नहींतब काटा चूब गया जब क्यों बोलते हैं अबइधर पीर उधर पीर यहां पीर वहाँ पीर प्यार में तो लोग जान देते हैं लुटारीतुझे को तो इतना सा काटा है तु�μारी दुख को सहार ले वप्त बुजार लेकाटा हुशियार है बड़ा दिलदार है अच्छी जगा लगा है बहुत खूब सजा हैकांटा तुझको लगा तो मेरे दिल में हुआ सनाथाखिच कांटाखिच कांटाखिच कांटा