भाग्यशाली होते हैं जो चिव का ध्यान लगाते हैं
रूका हच्चीольз कि बलायों उंगल सुद्धा। नठों,
खनफर प्यांस एक खर्मद जलीamis processёз जो
तिरल्नीक श्रीके दारे श्वर्थ की हमझिनजां गाती हैं ।
परवत राज हिमाले की इक चोटी जिसका नाम के दार
शोभा देखते ही बनती है बड़ी अनुपम है अपरंपार
चोटी पर ही आवस्थित है महादेव का सुन्दर दाम
अध्यातम और धर्म पेरिन देता के दारे श्वर्धा
महादेव के मंदिर में तो देव भिशीष नवाते हैं
जो तिर्लिंग श्री के दारे श्वर्ध की हम महिमा गाते हैं
पाग्य शाली होते हैं जो चिबका ध्यान लगाते हैं
जो तिरिलिंग शी के दारेश्वर की हम महिमां गाते हैं।
इस चोटी के पश्म भाग में मंदा की नितां बहती हैं।
जिसमें स्नान ध्यान की इच्छा देवों को भी रहती हैं।
ऊरब में हैं अलकनंदा जी तट पर मंदिर भदरीनात।
इनके दर्शन करने को तो देवलोक भी जोडे हां।
देवलोक भी जोडे हां।
रुत्र प्रयाग में दोनों नदीयों के जल फिर मिल जाते हैं।
हम इनकी महिमा गाते हैं।
दोनों नतियों की ये दारा मन को बहुत लुभाती है।
देव प्रयाग में आभागी रती गंगा में मिल जाती है।
गंगा में मिल जाती है।
गंगा में जो प्राणी करता है इस नाम।
शिवलोक भी सुलब है उसको किर्पा करते शिवभगवान।
किर्पा करते शिवभगवान।
जो तिरलिंग की सापना के पारे में बतलाते हैं।
जो तिरलिंग श्रीके दारेश्वर की महिमा हम दाते हैं।
हम इनकी महिमा दाते हैं।
ख़ुशाली होते हैं जो छिब का ध्यान लगाते हैं।
जो तिरलिंग श्रीके दारेश्वर की हम महिमा गाते हैं।
ख़ुशाली होते हैं जो तिरलिंग श्रीके दारेश्वर की महिमा लगाते हैं।
ख़ुशाली होते हैं जो तिरलिंग श्रीके दारेश्वर की महिमा लगाते हैं।
खैर पर निराहर वो रथते रहते शिव का नाम।
उनके खोर इस तप की तो चर्चा करते थे देवतमा।
चर्चा करते थे देवतमा।
रिशी, मुनी और यक्ष, गंधर तप की जिक्र चलाते हैं।
नर-नारायण के इस तप को प्रम-देव ने जाना था।
सैयम और साधनावन को उच-कोटि का माना था।
महा तपस्वी की प्रशंसा करने लगे विश्णू भगवान। उत्तम भगती,
उत्तम चेष्टा,
उत्तम खोजा है इस थान।
उत्तम खोजा है इस थान।
ऐसी कठिन साधना तो कोई विरले ही कर पाते हैं।
हम इनकी महिमां काते हैं।
अन्तमे आधरदानी शंकर भूत
भावन हुए परसं
कथन साधना से परवावे देने आये ते दर्शन
देने आये ते दर्शन
दोनों रिशियोंने जब शिव का कीना था तो दिव्य दिदार
आनन्द रच में डूब गए वो करने लगे थे जै जै कार
करने लगे थे जै जै कार
शिव शंकर के धर्शन पाकर फूले नहीं समाते हैं
जो तिरलिंग श्री के दारेशवर की महिमा हम गाते हैं
हम इनकी महिमा गाते हैं
आज्यशाली होते हैं जो शिव का ध्यान लगाते हैं
पूज़ा अरचना मंत्रों से वो करते हो कर भाव विभोर
चर नारायन जी की अस्तुति शिव शंभू के चर्नों की ओर
भकति भावना देकी शिव ने निजः चर्नों में देका ध्यान
भगवन बोले मांदलो दोनों अपनी इच्छा का वरदार
शिव के मुख से वाणी सुनकर गद-गद वो हो जाते हैं
कता उप्रबाके गड उप्रसंदय उंदामि độावषजेल मु guru Jasha Ke Kali
गाते हैं
गाते हैं
गाते हैं
पूर्ण करो ये मन की वाद
तुम अपने स्वारूप को भगवन्त करो इस्थापित शिव भगवान
सदा सर्वता यहां रहोगे भक्त जनों का हो कल्यान
भक्त जनों का हो कल्यान
हे देवाधी देवनात हम जोली को फैलाते हैं
जो तिरलिंग श्री के दारेश वर ही हम महिमा गाते हैं
पाग्यशाली होते हैं जो शिव का ध्यान लगाते हैं
जो तिरलिंग श्री के दारेश वर की हम महिमा गाते हैं
जगहां पवित्र हो जाएगी अगर आपका होगा निवास
धर्शन पूचन करनेवाले की हो जाएगी पूरन आस
भगती प्राप्त जब हुआ करेकी ए मिर शंकर भोलेनाद
चरन आपकी जो भी आए होगी कृपा की फिर बरसाद
होगी कृपा की फिर बरसाद
ऐसा बर दो
भोले शंकर हम तो इतना चाहते हैं
हम इनकी महिमां गाते हैं
इतनी हमारी बिनती बोले इसको कर लीजे स्विकार
अगर आपकी कृपा होगी होगा भगतों का उद्धार
होगा भगतों का उद्धार
धू影 बारदार Garhwal
तरायें मंद मंद मुस्काते हैं
जो तिर्लिंग शी के दारेश्वर की हम महिमां काते हैं
हम इनकी महिमां काते हैं
पाग्य शाली
होते हैं जो चिव का ध्यान लगाते हैं
जो तिर्लिंग शी के दारेश्वर की हम महिमां काते हैं
भिमाल की चोटी पर आकर बस गए शिव शम्भू दातार
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शिवशंकर के परम पुजारी यहाँ पे खिचे ही आते हैं
जो तिरिलिंग श्री के दारेशबर की हम
महिमाद आते हैं
हम इनकी महिमाद आते हैं
पाग्यशाली होते हैं जो चिव का ध्यान लगाते हैं
जो तिरिलिंग श्री के दारेशबर की हम महिमाद आते हैं
जो तिरिलिंग का दर्शन पुज करके यहाँ जो नहाता हैं
लोकिक फल तो मिलता ही हैं मोक्ष परम पद पाता हैं
मोक्ष परम पद पाता हैं
गुरु करन सिंग शिव भगती में निशदिन कोई रहते हैं
कमल सिंग जो शिव के पुजारी शिव शिव कहते रहते हैं
शिव शिव कहते रहते हैं
शिव शंकर के सत्य वचन जो कभी न ताले जाते हैं
जो तिरलिंग श्री के दारेशवर की हम महिमा गाते हैं
पाग्यशाली होते हैं जो शिव का ध्यान लगाते हैं
जो तिरलिंग श्री के दारेशवर की हम महिमा गाते हैं