प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
दोनिया मता मौहल चाले नई और के
बाबु माई कॉई से बड़े अपना हो गौर के
दुख के बाद बाहूम देवरा से पहुकोनी
राजा जी
राजा जी
मुझे जी कहे – ले न नदीको बहुत कही
राजजी कहे – ले न नदीको बहुत कही
राजजी कहे – ले न नदीको बहुत कही
न नदी के बापती नदी भो जाला
न नदी के बापती नदी भो जाला
मोरी-भारो भोती न चौबा भूंद घन्झाला
जो बाते ना देगो जागा तो ना देगे
जो बाते ना देगो जागा तो ना देगे
जो बाते ना देगो जागा तो ना देगे
जो बाते ना देगो जागा तो ना देगे
जो बाते ना देगो जागा तो ना देगे