बोल श्री जोत्राम भगवान की जै हो
के म्रे बाबा जोत्राम आप कैसे कैसे रोगों को दूर करते हो
कैसे कैसे दुखों का निवारन करते हो
कैसे एक भजन के महदम से कैसे बताता है क्या लिखा
तेरे कट जा रोग तमाम रहे ना लागे कोई दाम रहे
तू एक बैले ले नाम रहे शिरी जोतिराम गोधारा का
तेरे कट जा रोग तमाम रहे ना लागे कोई दाम रहे
तू एक बैले ले नाम रहे शिरी जोतिराम गोधारा का
तेरे कट जा रोग तमाम रहे ना लागे कोई दाम रहे
तू एक बैले ले नाम रहे शिरी जोतिराम गोधारा का
सच्चे मनते जो कोई माने पल में सांटे सांटे से
पल में सांटे सांटे से
फोटी मोटी सबी प्रमारी तुरत भवन में कांटे से
तुरत भवन में कांटे से
कलीब का अवतार से दुनिया में पर तार से
करता तो एदबार से शीरी जोत रामें गोधारा का
चरक चारों के तमामर नाला के कोई दामर
तू एक बैले लेनामर शीरी जोत रामें गोधारा का
दूर दूर ते हम नर नारी
मेला बड़े खसूता से
काली नाटी वाला जिनके संगम सीध भबूता से
संगम सीध भबूता से
शरके उपर हात से गैल निरंगन नात से
देता पूरा साथ से
शिरी चोत तिरा में गोधारा का
एक खच्चा लो धन्दमा मेरे
ना लागे भोए दामेरे
तू एक बैले लेना मेरे
शिरी चोत तिरा में गोधारा का
एक खच्चा लो धन्दमा में गोधारा का
करके ने विश्वास भवन पे
जाके माता ठेक लिये
जाके माता ठेक लिये
तुख्यों के तुख दूर होवे तू
अपनी आह क्या देख लिये
अपनी आह क्या देख लिये
ना कोई हेरा खेरी से
ना लागे कोई देरी से
साथमिया खुद देरी से
शिरी चोत तिरा में गोधारा का
एक खच्चा लो धन्दमा में ना लागे
ये कोई दामेर तू एक बैले लेदामेर शिर जो तेरा मैं खोदा राजा
रमेश का कड़ो दे बेट्या पावे चर्णाशीश जुका केने
जै मेरी नाजत दी पूछले राम करने जा केने
करता पूजा पाठ शे उकरणे
में सारे ठाट से चन में जात घर जात से शिरी जोत राम गोधारा का
या गट जा रोग तमा मेरे ना लागे कोई दाम मेरे तू एक बैले देदा मेरे
शिरी जोत राम गोधारा का