Nhạc sĩ: Bhagirath Pathak
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वहेला जहवा पावन गंगधारा
हर हर महा देव बोले लुग बसारा
ओम्नमह शिवाई
वहेला जहवा पावन गंगधारा
हर हर महा देव बोले लुग बसारा
ना धोके नोथ जहां पीसो नोथ सोयो
बैठी ध्यान धारेले
नमः पारवती परावन
देव बसारा जहां पावन गंगधारा
भुमिहा आई संत सन्या सिके जो तिरलिंग बाई हकर लो सिके
नाही काल से डेराला महाकाल के चेला कस्त कोट जाला जोगिया के नाम जेलेला
सिधे उचोलि जाला मौक्ष द्वारि हा मर के जे भी जरेले
बोला बोला बाबा विश्वना थकी कासिके कंकड कंकड में सिव संकर वास करेले
कासिके कंकड कंकड में सिव संकर वास करेले
पावन भाजन का वेल सिव सक्तिके
हार साथ भागी रोथ भाव भक्तिके
खुद या पने से जाके समसान का गारी
सारा देहिया में भासा में भाभु उत्रागारी
खाली ना लखे कोई यहाँ से
सब के जाली भरे है ले
अगाल मृत्यू वो मरे जो काम करे चंडाल का
हरे काल बिउसका क्या बिगाडेगा
जो भक्त है महासिरा
कासी के कंकड कंकड में सिव संकर वास करेले