मैं पंखों को फ़ेलाती
मैं पंखों को फ़ेलाती
रोजाना दरपे आती
बाबा के दर्शन पाती
काश मैं पंछी होती
मैं पंखों को फ़ेलाती रोजाना दरपे आती बाबा के दर्शन पाती
काश मैं पंछी होती
काश मैं पंछी होती
काश मैं पंछी होती
काश मैं पंछी होती
नितपिरियंका का मैं सुनती गाना हरराम मैसले का चंट बनाना
कवम है
काश में पंची होती