Nhạc sĩ: Kalyanji Anandji, Pradeep
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कितनी ही बार दया निधिने
कितनी ही बार दया निधिने संसार को आखे उबार लिया
जब जब धर्ती पर धर्म घटा तब तब कभुने अवतार लिया
करो हरी दर्शन करो हरी दर्शन करो हरी दर्शन
ये कहानी भयंकर काल की है प्राचा
चीन करोड़ों साल की है शंखासुर नाम कथा दानव
उससे डरते थे सुर मानव राक्षस था बड़ा विकट बल में
रेदों को चुरा के घुसा जल में फिर प्रभु नमच से रूप धारा
पापी शंखासुर को मारा
ये अमृत मन्थन की है कथा
सुर असुरों ने सागर को मथा
तूबने लगा परवत जल में
खलबली मची भूमंडल में
तब हरी ने कूर्म अवतार लिया
मंदराचल पीठ पे धार लिया
हर की लीला है अजब लोगों
देखो अब दृश्य गजब लोगों
धनवंतरी जन में समंदर से
अमृत ले आए वो अंदर से
अमृत के लिए दानव झगडे
पर प्रभु निकले सबसे तगडे
तब प्रभु बने सुन्दर नारी
मोहिनी नाम की सुपमारी
जब मटक मटक मोहिनी डोली
दैट्यों की बंद हुई बोली
असुरों का आसन हिला दिया
देवों को अमृत पिला दिया
फिर प्रभु का प्रथु अवतार हुआ
उनसे धर्ती का सुधार हुआ
सब नियम धर्म को ठीक किया
जन जन का मन निर्भीक किया
अब सुनो भत्त ध्रू की गाथा
भगवन को झुकालो सब माथा
जब ध्रू ने
हरी दर्शन पाए
तब उसके लोचन भर आए
एक बाल भगत ने निराकार
नारायण को साकार किया
जब जब धर्ती पर धर्म घटा
तब तब प्रभु ने अवतार लिया
करो हरी दर्शन
करो हरी दर्शन करो
हरी दर्शन
हरी दर्शन
जब ग्राह ने गज को पकड़ लिया
उसके पैरों को जकड़ लिया
तब चक्र पाणी पैदल दौड़े
आकर उसके बंधन तोड़े
और चक्र से ग्राह को सौंहान
पल में गज राज को उद्धारा
फिर प्रगट हुए नर नारायण
थे महा तपस्वी जगतारण
उर्वशी भी देख विरक्त हुई
अपसरा भी हरी की भक्त हुई
तब काम भी रस्ता नाप गया
और क्रोध भी मन में कांप गया
और क्रोध भी मन में कांप गया
ग्रीव तपस्या करता था
होने को अमर वो मरता था
तब महा माया साकार हुई
पर देने को तैयार हुई
दानव ने वचन ये
उच्छारे
केवल
है ग्रीव
मुझे मारे
है शीर्ष रूप हरी ने धारा
और पापी राक्षस को मारा
उस पापी राक्षस को मारा
फिर हंस रूप में हरी प्रगटे
कल्याण हेत शीरी हरी प्रगटे
भगवान ने सबको शिक्षा दी
पावन भक्ति की दीक्षा दी
फिर जग में यज्य भगवन आए
पृथ्वी पर परिवर्तन लाए
सब देव हवन से पुष्ट हुए
प्राणी समस्त संतुष्ट हुए
फिर प्रभु कपिल अवतार बने
सृष्टि के तारनहार बने
अपनी माता को ज्ञान दिया
जनता को सांख्य प्रदान किया
फिर सन का दिख अवतार हुए
वास्तव ने बालक चांग
मत सोचो वो केवल बालक थे
बड़े धर्म करम के पालक थे
जय विजय को देकर श्राप बाल
भगवान ने जग को तार दिया
जब जब धर्ती पर धर्म घटा
कब कब कभुने अवतार लिया
करो हरी दर्शन
हरी दर्शन
करो हरी दर्शन
हरी दर्शन
हरी दर्शन
हरी दर्शन
हरी दर्शन