करबला वाले हमें दर से रजा देते हैंतीर पे तीर बिखा कर ये दुआ देते हैंकरबला वाले हमें दर से रजा देते हैंअब ना मांगेंगे कभी पानी चचा लटा होखुश्क हुटों से ये माम सूम सदा देते हैंकरबला वाले हमें दर से रजा देते हैंबोली जैनब मेरे बाबा को मुला कर लाओघर बुलाए हुए मेहे मां को सदा देते हैंकरबला वाले हमें दर से रजा देते हैंहाई बीमार के जो सो न सके थे आबिदहाई बीमार को जंजीर पहना देते हैंकरबला वाले हमें दर से रजा देते हैंसत्क शबीर के पुरबान हसन के जाओदीन के नाम पे जो सर को कटा देते हैंकरबला वाले हमें दर से रजा देते हैंतीर पे तीर बिखा कर ये दुआ देते हैंकरबला वाले हमें दर से रजा देते हैं