प्रजवासी सुदामा जी
अपने मीत्र क्रिष्ण कनहीया के
पास द्वारिका पहुचे हुए है
द्वारपाल सब जाने से रोक रहा है
क्या कहते हैं
आगे सुनुगे
कानहा से मुझे मिलना है मिलने दो यार पल भर के लिए
कहे दो आया सुदामा है तेरे द्वार पल भर के लिए
कानहा से मुझे मिलना है मिलने दो यार पल भर के लिए
पच्पन की है मेरी कानहा से यारी
जानते भिरज की है सब नर नारी
नाम है सुदामा जाके कानहा से कहे दो
तोरते आएंगे मेरे किष्ण मुरारी बात करना है
मुझे को उनसे दो चात पल भर के लिए कानहा से मुझे को मिलना है
मिलने दो यार पल भर के लिए कानहा से मुझे को मिलना है
मिलने दो यार पल भर के लिए
मोहन मुरारी बिहारी से मिला दो भरज से आया कोई उनको बता दो
मोहन मुरारी बिहारी से मिला दो भरज से आया कोई उनको बता दो
मेरा संदेश जाके उनको सुना दो
वर्ना मुझे ही उन तक पहुँचा दो
यू करते हो हम से भाई तक्रा पल भर के लिए
कानहा से मुझे मिलना है मिलने दो यार पल भर के लिए
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