कान घरे तेरी मुरली की दर्यों
मुमंड को मुले छूले हरे कितन
निरमना के पेट पर बजे जब बनसी
यो बली खो किया संदेचू में डृंदा वसंधान
भंद तेरी बनसी की धन चानों में जाये
बंध मध सुरों में मनवाख हो जाये
खल सास सास में तेरा नाम समाया गर्शाम बिन गग में कौन हमारा
और तेरी बनसी सुन्ते सुन्ते दुनिया को भूल जाऊं
दुमान मानन नंदते रतते तेरे जड़नों में आजाऊं
प्रम धुबन में हरी आली चाये जब तु बांसुरी बजाये
मोहन के प्रेम में गोपीया नाचे मन हरशाये
ओबली तेरी सुरत में बसे हैं सपने तेरी माया आया परन पार
तेरी तेरी बनसी की तान सुन कान हां मैं सब कुछ तुझ पेवार
और तेरे नाम का जो जाप करें बासागर से तर जाये
आदे रादे बेले जो भी कृष्ण का चर्ण में समाये
खान रे तेरी मुरली की दुन नाल मन को बाये प्रेम का रंग लाए
तु गोकल में माहन बनसी की तान सुनाए
अब आली तेरी एक जलत के लिए सारा जग तरसाए
दुमीरा तेरा नाम पुखाए सूर दास गाए गुन गाँ
शाम बिनाए जीवन सूना तेरा नाम है पहचाँ
लव तेरी मुरली की मीठी तान सारा जग गुन जाए
जुक जाए
कान हारे तीरी मुरली की धुम हर जनम मैं तेरा प्रेम पाऊं
चरनो
मैं शीश ना बाओं
स्टासंARI