पड़ी पड़ी लिम में हो में परिया
हो में दिसे ना कोई
ना मैं घट्या दुनियों यंद
ना सचे करतो ही
मैं विछो जद मैंनू घट्या
फिर मैं रहमत हो ही
मैं उनू तक तक कमली हो ही
कुम कुम ठक्या जंगल बेले मारी आवाजा तैनू
उखे रह रह छिले कमाए फिर वी ना मिलया मैंनू
जद मैं अपने उंधृ तकिया
उंधृ बेटा सोई
मैं उन्हों तक तक कमली होई
सूरच चन ते तारे ओदी रह्मत दे विच रहेंदे
अगनी बोल ते पानी सबे ओदी रह्मत दे विच रहेंदे
काइनात नू जद मैं वेखिया
ओदी बुकल विच समोई
मैं उन्हों तक तक कमली होई
जिदर वेखा तू ही तू है की उपर की थले
तरत आकाशिस मंदर तेरे तू हैं बले बले
समझिया जाते दिली जीत के तेरे
बाग न हसती कोई मैं उन्हों तक तक कमली होई