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एक गाउं में एक संत रहते थे, सादू रहते थे, उनको लोग वस्तर दिया करते थे, संकीर्तन करते, यत्र तर्त्र डोला करते थे, एक व्यक्ति को लगा ये काम ठीक है, हम भी ऐसे वेश बना ले तो हमें भी मिलेगा, और उसने वेश बनाया है,
गाउं माले और खुश हो गए, क्योंकि बनावटी पनावर अच्छा लगता है, वह भी वेश संकीर्तन करता डोलता है, लोग उसके साथ संकीर्तन करते उससे पैसे देते हैं, धन देते हैं, उसका काम अच्छा चल पढ़ता है,
एक दिन वह संकीर्तन कराता हुआ जा रहा था कि पीछे पूरे गांव वाले यहां जो संसार है यह भेड़ चाल ही है
बेड़ को देखा कैसे चलते हैं एक आगे-आगे चलती उसके पीछे-पीछे सारी बेड़े चलते हैं अब यह वाली अगर
कि चमकार देखा नहीं है कि पीछे-पीछे हो लीजिए कि अब वह व्यक्ति आप मूल करें कृष्ण गोविंग हरे मुरारे कहता जा रहा है
कि आगे कुआ था वह आप बंद किया हुआ था उसे पता नहीं चला और गिर गया वह जो आडंबर कर रहा था अब कुए में गिरा
तो सोच रहा है अगर मैं यह कहूंगा कुए में गिर गया तो लोग कहेंगे पक्का पापी होगा इसलिए गिर गया दंद मिल
दे रहे हो क्या सुंदर मुख है आपका कितने सुंदर नेत्र है क्या मोर कितनी सुंदर अलकावलियां हैं गाउ वालों
ने सुना रही है तो बाबा को पूरे में दर्शन दे रहे हैं प्रभू अब क्या करना कुछ समझ नहीं आए एक ने हिम्मत करी
बाबा को दर्शन दे रहें
इसको नहीं दे रहें
अब वो भी उन्ही की बात में बात मिला है
वाह प्रभु क्या दर्शन दे रहे है
क्या नेतर हैं आपके
क्या लगावलियां
क्या मोर मुकूट
गावालों ने सुचा सच में नहीं प्रिगट हो गये
परमात्मा अब जमा जम जो कूदना शुरू किया सब ने हां दस मिनट लगा था कुआ ठसा ठस भर गया सब चिल्ला रहे हैं
दर्शन किसी को नहीं हो रहा है और सब यही सोचकर चिल्ला रहे हैं वह प्रभु कई लोग मुझे पापी न समझे कि
जा रहा है अब जो सबसे पहले कूदा था जिसने आडंबर किया था जो झूठी बद्धि दिखा रहा था उसने सोचा इतने वह
गांव अगर चिल्ला रहा है एक साथ तो क्या पता सच में परमात्मा दिख रहे हैं वह मुझे नहीं दिख रहे हैं
मुझे शुरू इसी नहीं किया था लेकिन सोच रहा है मैं तो झूठा था लेकिन गांव वाले तो सच्चे थे क्या पता
इनको गोविंद्र दर्शन दे रहे हैं हमें नहीं दे रहे हैं उसका वह झूठा पन वह झूठी बद्धि सच्चाई में परिणित
हो नहीं वह वह आडंबर भगवत भक्ति में परिणित हो गई और वह प्रेम में पुलकित हो गया नित्रों में शुरू
भराएं और बोला प्रभु कुछ भी हो मैंने झूठा ही सही मन से ही नहीं बुद्धि से बाहर सही सही लेकिन आपका नाम
दिया है लोगों पर लोगों को आपके रास्ते पर चलाया है क्या मुझे दर्शन नहीं दोगे और वह जूठी भक्ति जो
सच्ची भक्ति में परिणित हो गई उसी कुए में बाके भ्यारी लाल प्रगत है तो जूठा खेले सच्चा होई सच्चा
ले बिर्ला कोई आप जूठा खेलना तो शुरू करो कब सच्चे बन जाओगे पता नहीं चलेगा आप तिलक लगाओ लोग कहें आडब
नहीं कर रहा है भक्ति दिखावण की बस तुम नहीं है कि दिखावटी कर रही है दिखावटा कर रहा है यह भगत ओगत नहीं
नियुक्त है कोई बात कह देना हो कि लेकिन तुम चंद्र लगाना बंद नहीं कर लो तुम नामकार ना बंद नहीं करना
तू सच में क्या पता है जूठे हो लेकिन तब सच सबना दिया जाओगा तुम्हें पता भी करेगा ए स्टोस