जैश्री शाम।
जैश्री शाम।
जैश्री शाम।
तक्दीर बदलते
हैं मेरे शाम धनी सरकार।
कल्युग में हो रही हैं मेरे शाम की जैजैकार।
खारे को जिताने का अन्दास निराला हैं।
बिन मांगे देता हैं सदा खुला रहे भंडार।
कल्युग में हो रही हैं मेरे शाम की जैजैकार।
जैश्री शाम।
दातार की दातारी उमीद से जादा हैं।
भगतों के लिए बाबा बैठा हैं लगा दर्बार।
कल्युग में हो रही हैं मेरे शाम की जैजैकार।
चर्णों में दर्श बिठा कर ये खूब लुटावे प्यार।
कल्युग में हो रही हैं मेरे शाम की जैजैकार।
तक्तीर बगलते हैं मेरे शाम धनी सरकार।
कल्युग में हो रही हैं मेरे शाम की जैजैकार।