यूख तो चलता रहता मनुश्य के कर्मों से
बैदा है पानी का शोर उठता लेरों से
यही तो गुद्र की यहाँ अपार देन है
बो माया के चक्कर में इनस्यानत को वैम है
शोर पे जोर लगा के रखती अपने बाते ये
दिखावे मेरे देना दिन न समझे राते ये
आज का यूख जिसमें बहुत मिलता दुख
इंसान्यत दफना कर मिलेगा कैसे सूख
चलती हवाए धलता वो सूरत जोर चांद आता
यूख तो आते जाते कर्मों पे जब नाम आता
संकत गड़ी परिश्रम का ये फ़ल है जो बोया तुमने मिलेंगा तुमको कल है
रास्ते पे काटे तलना तेरा काम है मेंनत तु करता जा नसीव पे ना नाम ले
प्रकर्तिक दुन्या इत्यास काम बेट कर बैटी है
शक्ती और भक्ती के माध्यम से उस पे लेटी है
आज और तल छोड़ेगे तुम जब ऐसी बाते
विख्यात काम से मिलेगी किस्मत आते जाते
विचारों के माध्यम से चम्पे हम तारों जैसे
जौला से लिप्टे पानी में रहते सालों से
पैसो के चक्कर में जिना हम बूल गए सांसारी कश्ट तकलिफों में हम जूल गए
प्रतिक्षा प्यार परंपरा के प्याले है
सुखी है वो जिन के गलदीयों पे ताले है
ज्याणी आहंकर मर्यादोपेना चलता है।
चोटी सी सोच लेके आहंकर पे बहलता है।
शारिरी गोख, मांसवता का हिन्सां भूका है।
कल्यूग का हाल इनसे कोही नहीं ठूता है।
कर्तादर्ता बनाने वाला पास है।
फिग्यान के सोच दर्भी आकवाश उसके खास है
सोने से उगदा सूरत सोने से ही डलता है
मृत्यू के पास आकर कोई नहीं चुपके कहता है