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Kali Mata Ne Jadbharat Ko Kya

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Lời bài hát: Kali Mata Ne Jadbharat Ko Kya

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

कि तेरी मंगला काली भद्रकाली का पालने दुर्गाक्षमा शिवाधात्रि स्वास्वदानमों स्तुते मां का इश्वर्णकिया है और आज भद्रकाली मैं जो मूर्ति दिए उस प्रटी है और आज काली का मैं प्रकट हो गई है वह लिखाली का माता कीदिए है और कखिक द्वारा उस टोकन का सट टार का मस्तद कांटिक बख्ती की � transformation उन्हें रख्षा कर दीसुरुंठल घ्र भगवत्ति क्योंकि उस पुत्रों जाये तो कुछ दबिंग को माता नव थापुत्र कुछ हो सकता है पर माता कभी कुम्माता नहीं हो सकती कि आज शर्णा गतदिन आर्थ परित्रायन परायनेसरवज्यार्थे हरेदेवी नारायणे नमस्तुते थे आज मां को शास्ठांग दंडवत किया धन्य मां भगवती जो तुमनेकी रक्षा करी है जाओ मैं आशीर देती हूं कि तुम अचल हो जाओ तुम्हें भक्ति प्रदान होती हैकि जड़भरती महाराज मां को प्रणाम करके चल दिए हैं और चल रहे थे परमहंस है वह तो चल रहे हैं औरचलते-चलते एक राजा रहुगुण सोविर देश के बहुत कारवाहकों पर पाल की पर वेट करा रहा है एक कारवाहकमैं बीमार पड़ गया ढूंढते हुए आए कोई और तो नहीं मिली हट्टे-कट्टे मिल गया जड़भरती महाराजचलो जड़भरती महाराज मना तो किसी से करते नहीं और पहुंचे हैं और कारवाहकों के साथ ढोली को उठाने लगेहैं और चलने लगे हैं और चलते-चलते अब वह जड़भरती महाराज ने क्या देखा है कि एक छीटी दिखाई दीहै और जोदिखाई दी क्योंकि संत तो जो है किसी जीव को भी कष्ट नहीं देना चाहते हैं और अब इतनी जोड़दार चलाएं लगाई हैकि पाल की डोली है और राजा के सिर्फ लगी है अरे कारवाहकों तुम्हें चलना नहीं आता है महाराज हम तोअच्छे से चल रही है पर अभी जोन्या नयाया यह चलने नहीं आता है कि अब तो ब्यंतर करने लगे ए मां अरेअट्ठे-अट्ठे हो इतना बाद आते हो फिर भी तुम्हें चलना नहीं आता है कि अगर अच्छे से नहीं चलोगे तो मैं तुम्हेंनहीं कर दूंगा कि इस खड़क से मस्तक काट दूंगा कि जी महाराज अब फिर रत करभाग चलने लगे और अब की बारचीटा दिखाई दिया और जो दिखाई दिया है जणबृति महाराज ने जोर से चलांग लगाई है अब तो सारी की सारीहमारी पाल की जमीन पर गिरपड़ी है कि राजा रावगुण इतने क्रोधित हो गए अरे दुष्ट अब तू बच नहीं पाएगाखड़क निकाली है कि इतना अट्टा कट्टा होकर चलता चलने नहीं आता है कि अब तू बद के योग है जड़ भरतीकर्च महाराज ने कहा मैं जानता हूं आज नहीं तो कल मुझे मरना आ या झाल नैन अम्सचिंदन्त शस्टरावणी नेनम द हितिपाव का अरे शरीर ना आश्वर आज नहीं तो कलिसंत छोड़ना है पर मेरी जो आत्मा है जरम है इस आत्मा को नाऔर सस्त काट सकता है ना अग्नी जला सकती ना चलू से गिला कर सकता है और महाराजी यह बताइए मुझे मृत्युकी कोई चिंता नहीं आप कहां जा रहे हो का मैं गुरु के पास जा रहा हूं गुरु दिक्षा ले दे तो राजन तुम्हेंचोटा है हर जीम में फर्मात्वाहार निवाहस है भवाबक शर्मा समान और प्रेम ते प्रकट होई में अरेんだमें और तुम राज चार्म को कश्ट देकर गुरु से मिलने जा रहे हो अरे गुरु कहा मंदिर में तो नंगे पेर जाने चाहिएगुरु मिलन को चालिए तजमाया अभिमान जो जो पग आगे धरे खोटी आगे समानअरे गुरु के हाँ मंदिर में तो नंगे पेर जाना चाहिए और जो नंगे पेर जाता है उसे एक करोड़ यक्की का फल मिलता हैअब तो राजा रहुगण समझ गए मैं तो इसे साधरण समझ रहा था यह परमंच से देखने के लिए सुंदर आज अडबराजीमुझे छमा कीजिए कि सुंदर उपदेश दिया राजन इस संसार में केवल और केवल परमात्माई शास्वत सत्य परमात्मा केवगर पत्ता भी नहीं आता है कि तुम तो भगवत श्मण करो और गुरु मंत्र दिया है ओम नमो भगवते वाशु देवाय औरवो राजा रुप रूप रून्ड को सचन गुणा लिया अरे मैं तो गुरु ढूंढने जा रहा था सद्व tuv पास आ गयाकभी-कभी प्यासा व्यक्ति कुए के पास जाता है और कभी-कभी कुआ चल कर प्यासे के पास जाता हैतो सद्गुरु बने हैं कृपा हुई तो ऐसे जड़बर्जी महाराज जिन्होंने जीवन में केवल और केवल भक्ति कीनिष्काम भक्ति और भक्ति ऐसी हो जिसमें कोई स्वार्थ ना हो निश्वार्थ भाव से कि

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