कले के फ़ुं पे पूछूँ बाद
के जब होती है आधिरा
कौन भव्रा बन के चुप्टा
तेरी भव्रा में आओता है
तुरा के तेरा मन जाता है
कले के फ़ुं पे पूछूँ बाद
कली से काहे पूछे बाद
प्यार में होती है ये खात
नैन से चलते हैं जब बान
बान का जादो चाता है
जब बान का जादो चाता है
कली से काहे पूछे बाद
निर्दई भव्रा क्यों फुं जलती
गली गली में भूमता
कौन भरोसा करेगा फिरसा
कली कली को चूमता
परक करता भव्रा दिन रात
कौन भो गली जो तेवे साथ
कमल मी से जब मिलते नैन
चैन मन का छो जाता है
रैन भरपत बन जाता है
कली से काहे पूछे बाद
शंगन भेना कली है बोरी
फवर कपाना रंगरे
कारे बदरवाते पूछो जो
रखे पिजुरिया संग्रे
मधुर गोरे काले का तात
ते जुँ मिलते हैं दिन और रात
रात कारी संग गोरा चान
मिलन का रात रचाता है
कली संग अवराज आता है
कली से कुछे पूछे बाद
जब होती है आदि रात
जब होती है आदि रात
कौन भरा बले के चुपता
तेरी बदिया में आता है
तुरा के तेरा मन जाता है
कली से काहे पूछे बाद
प्यार में होती है ये घात
नैन से चलते हैं जब बान
बान का जाजो चाता है
बेकारा खिट खिट आता है
कली से काहे पूछे बाद
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