अश्पी मूझिक
काचल डोरे मैं सजरी
चोटी काली बल्खाव है और छम छम
पायल की बचरी
चोटी काली बल्खाव है और छम छम पायल की बचरी
हिर जोल जवानी मारे थी और छहरे पैच ड्रिया था नूर
मंद मंद मुस्काना उसका इश्क मकर क्या चकना चूर
मुस्काना उसका इश्क मकर क्या चकना चूर
मेरा देख कंजील लचा गया डालवा मेवा की दुकरी
चोटी काली बल्खाव है और छम छम पायल की बचरी
चोटी कारी बल्खावे और
चमचम पायल की बजरी
ये रखूद तबीवा दोली थी और बोलेपन की
जलक पड़ी
आग जबदा रूप परीवा अंबर तें उतरी
चोटी कारी बल्खावे और चमचम पायल की बजरी
हेरारामरमी तो कर ली थी आग एना बोली पड़ी हो
किर्सनदायमा के दिल मैं किसी कर गीवा हो चट्टी हो
किर्सनदायमा के दिल मैं किसी कर गीवा हो चट्टी हो
पल करा जो उस तेवा मेरी आख्यां में बसरी
चोटी काली बल्खाव है और चमचम पायल की बचरी
चोटी काली बल्खाव है और
चमचम पायल की बचरी
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