कवीं बाई
बाई
देखे जाए आखें मिला न सके
कभी उड़ते उड़ते बालों को सवारे तराते अन्दाज में
कभी है शेटानी कभी है ठहरा पानी
कभी शरारतों में ना एक मेरी मानी
कैसे पहली है कोई न जाने
जैसी है मेरी है
कोई न जाने
कभी है शेटानी, कभी है ठहरा पाणः
कभी शरारतों में ना एक मेरी मानी
कैसी पहली है कोई नजाने
जैसी है मेरी है कोई नजाने
तारीफें चाहती है कि करता रहूं मैं हर बात बात पे
मेरी सबी हरकते सुधारती रहे हो जब साथ साथ में
कभी है शैतानी कभी है ठेहरा पानी कभी शरारतों में
न एक मेरी मानी कैसी पहली है
कोई नजाने
जैसी है मेरी है कोई नजाने
सीनसे मेरे वो जो आके लगी
मेरी धड़कने जोरों से बढ़ने लगी
कोरी सी जंदगी
तेरे
रङ्में हुई
कभी है शैतानी कभी है ठेहरा पानी
कभी शरारतों में न एक मेरी मानी
कैसी पहली है कोई नजाने
जैसी है मेरी है
कोई नजाने