कबिरा सब जग निर्धना
धनवन्ता ना को
धनवन्ता सो ही जानिये
जब राम ना मुधन हो
कैसे चुकाऊँ इन
सासों का मोल रे
जनम देने वाले इतना तु बोल रे
कैसे चुकाऊँ इन
सासों का मोल रे
जनम देने वाले
इतना तु बोल रे
जनम देने वाले
इतना तु बोल रे
जिस में बसाऊं तुझे दिया है वो मन
तेरी कृपा से मिला
मुझे को ये तन
तेरी कृपा से मिला मुझे को ये तन
खो ली रे
ना तु बोल रे
मदमें हमेशा रहा मैं चूर चूर
मंदिरों से तेरे रहा मैं दूर दूर
नाम भुलाया मैंने तेरा अन्मोल रे
जनम देने वाले इतना तु बोल रे
मैंने किया ना कोई दानि धरम
छल से भरे हैं मेरे सारे करम
किसी से ना बोले
मैंने दो मीठे बोल रे
जनम देने वाले
इतना तु बोल रे
जनम देने वाले
इतना तु बोल रे
कैसे चुकाऊँ इन सासों का मोल रे
जनम देने वाले इतना तु बोल रे