| Lời: Vikash Kumar
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प्रस्तुत्र प्रस्तुत्र
अखिया से लोहर गीरा बन के बदरीया चरवोर जान के ही ढुढ़ेला नजरीया
अखिया से लोहर गीरा बन के बदरीया
चरवोर जान के ही ढुढ़ेला नजरीया
जीए न देता संग में जुलमी जमाना
जीए न देता संग में जुलमी जमाना
काहे खाती प्यार तो बनवला एकाना
काहे खाती प्यार तो बनवला एकाना
तो
प्यार के तुलना
गावत करे भोकवान से
तब काहे मिले ना देला
जाने ये को जाने से
जाने ये को जाने से
प्यार के तुलना
गावत करे भोकवान से
भगवान से तब काहे पीले न देला जने को जाने से
दिल के दरदिया हैं सुनावता दिवाना काहे खाती प्यार तू
बनवला एकाना काहे खाती प्यार तू बनवला एकाना
हर कोल याद अवे बोलल बोतियावार माँटे में मील जालह सपना सजाओ
हर कोल याद अवे बोलल बोतियावार माँटे में मील जालह सपना सजाओ
हर कोल याद अवे बोलल बोतियावार माँटे में मिल जालह सजाओ
राजा राजेस नीतेस मरता विताना काहे खाती प्यारे तू बनवला एकाना
करते हैं