जब पहली बार तुमको पहचान था
दिल को मिला बाहान था
सीने से गुम हो जाने का
मेरे पलकों पे जो खाली थी जगा
तेरे आने से भर गई
कब से तुझ को बतान था
कहानिया शुरू हो गई है मेरी
ये रूकेंगी तिरे नाम से
नजरे मेरी
जो देखें तुझे तो रुकें
ये नामेरे किसी काम के
जो हर शामे अब या तेरी बातों से डल रही रातों में भी तेरान था
जब पहली बार तुमको पहचान था दिल को
मिला बाहान था सीने से गुम हो जाने का
नजरों से कितनी दफा तुझे से बातें करी अपने ख्वाबों में यूँ
पर होट्व मेरे सिल गए हर दफा सामने जब भी आया है तू
हो गर हसी तेरे चहरे पे तो मैं बनूं उस हसी की वज़ाई
बैदी हुई रे तु मैं बन गया
बाहाती तु बन की हवा
कहने को यूँ तो
कुछ भी नहीं है
पर सोच लूँ मैं तो सब बात है
का