तेरी मुस्कामें
खो जाता था मैं
पर शब्दों में कभी
अपना दर्द न लाया
हर नजर में छुपा था एक राज मेरा
पर कभी कुछ से भी वो बात छुपाया
तेरी बातें सुन्ता था
छुपके से
पर कुछ से पूछता था कैसे कहुं मैं तेरी आँखों में जो सपने थे मेरे
वो अब भी मेरे दिल के कोने में होते हैं
कभी कहना सका दिल की
बात जो छुपी थी तेरे बिना मैं अधूरा सा था
खामूशी में छुपा था एक प्यार का जहाँ जो सिर्फ तेरे ही जीता था मैं
तेरे साथ गुज़रे वो पल याद आते हैं
वो पल याद आते हैं
जो सिर्फ तेरे ही जीता था मैं