तू मेरे पास पहले आती थी अब नहीं है
तू
मुझे को याद पहले आती थी अब कम ही है
ये कभी नफस जो है तमी
महरवानी तेरी
मेरी नफस अब ना मेरी
है महरवानी के बारिश की बूंद में तू सरदी
की उस में तू दिकती मुझे कभी कभी
ख्वाहिश कभी कभी गुजारिश करूं
बता तू मुझको मिलेगी फिर कभी
कभी कभी कभी तू याद मुझको
कभी तू साथ मेरे कभी है खुशनुमा है लो कभी मिजाज मेरे है
कितनी दूर फिर भी लगती मुझको पास मेरे यो वन अफ देम मैं
जिनको बोलता हूं खास छेहरे तू मेरी शायरी कभी कभी घुमान
मेरा तू मेरी है डगर कभी कभी मुकाम मेरा न मिलता है चवाब ज
पण पे पिखरती स्याही की वजा बनी तू मेरी रजा बनी तू मेरी
अदा बनी तू पहले आप तुम से तू से मेरी जाबनी तू जो
सबसे है सुरीला कानों को वो साज तू कभी है बरमला कभी है
दिल का राज तू क्यों याद आने से मुझे ना आती बाज तू दूआओ
तू
मुझे को याद
पहले आती थी अब कम ही है ये मेरी नीदों में जो कमी
महरवानी तेरी मेरी आँखों में जो नमी है महरवानी के दे कलम
मेरी गवाही कुश्बुदार तू सियाही बातों सबर दी डायरी
दूर होके भी जुदा ना दूर जाके ही बना मैं शायर तू मेरी शायरी
तू
मेरे पास
पहले आती थी अब नहीं है तू
मुझे को याद