कभी एह पेपते मुन्तजेप
कभी एह पेपते मुन्तजेप
नजरा लिपासे मजाजे
के हजारों सज्जे तरप रै
के हजारों सज्जे तरप रै
है निरी जबी नयाजुने
कभी एह पेपते मुन्तजेप
नजरा लिपासे मजाजे
कभी एह पेपते मुन्तजेप
नव इश्क में रहकर लियो
कभी एह पेपते मुन्तजेप
न वो इश्क में रही दर्मिया, न वो उसमें रही शोखिया।
न वो उसमें रही दर्मिया, न वो उसमें रही शोखिया।
न वो इश्क में रही दर्मिया, न वो उसमें रही शोखिया।
न वो इश्क में रही दर्मिया, न वो उसमें रही शोखिया।
न वो इश्क में रही दर्मिया, न वो उसमें रही शोखिया।
जो मैं सर्ब सजदा हुआ कई, तो सम में से आने लगी सदा।
जो मैं सर्ब सजदा हुआ कई, तो सम में से आने लगी सदा।
तेरा दिन तो है सनमाशिना, तुझे क्या मिलेगा नमाज में।
कभी यह पेपते मुतजे, नजरा लिवासे मजाज में।
के हजारों सज्वे तरप रहे, है मेरी जबीने नयाज में।