मुझे रोते हुए देखा किया वादा फिराने का
के इक बहते हुए पानी पे बुनियादे मकां रख दी
चमन के रंगो पू ने इस कदर तो खे दिये मुझे को
के मैंने जो के गुल बोसी में कांटों पर जुबां रख दी
कब मेरा नशेवन एहले चमन
कब मेरा नशेवन एहले चमन
गुलशन में कवारा करते हैं
गुलचे अपने आवाजों में
गुलचे अपने आवाजों में
गुलचे अपने आवाजों में
विचली को पुकारा करते हैं
कब मेरा नशेवन एहले चमन
गुलचे अपने आवाजों में
गुलचे अपने आवाजों में
गुलचे अपने आवाजों में
रंगीनी होसेन को बन दे दू
उच्छो ना वरब के उपसारों से
रंगीनी होसेन को बन दे दू
उच्छो ना वरब के उपसारों से
रंगीनी होसेन को बन दे दू
उच्छो ना वरब के उपसारों से
रंगीनी होसेन को बन दे दू
उच्छो ना वरब के उपसारों से
रंगीनी होसेन को बन दे दू
उच्छो ना वरब के उपसारों से
रंगीनी होसेन को बन दे दू
उच्छो ना वरब के उपसारों से
रंगीनी होसेन को बन दे दू
उच्छो ना वरब के उपसारों से
रंगीनी होसेन को बन दे दू
उच्छो ना वरब के उपसारों से
रंगीनी होसेन को बन दे दू
उच्छो ना वरब के उपसारों से
तेरी तलाश में ऐसी भी मनजिलें आई
के खास खास सहारों ने साथ छोड़ दिया
वो ही है जामू
वो ही है जामू
वो ही बद्बू है
बगर आतिश्वान
पुराने बादा गुसारों ने साथ छोड़ दिया
जाती हुई मैयत देख के भी
बल्ला तुम चल करें
अनसके
मैं बहु मुदत दे बाद वेस वटाया
देख रखी बाना लें
देख रखी बाद देख की रूप
वो ही नहीं रखा दें
कगुकें पेरें
नुई श्री में हमार पुरी तम्हीन
कमिसी में थे
सागें देखित लियें
नातसा कार्य जिगर действительно
या जिवनता करें
शोंदवी नीपा लीं
खुरशीद से जिगर बिचाले जाती हुई मैज़त देख कभी बल्ला तुम चल कर आना सके
जाती हुई मैज़त देख कभी बल्ला तुम चल कर आना सके
दो चार कदम तुम तुष्मन के
तक्षीप कवारा करते हैं
अप मेरा गशें
अप मेरा गशें
जिना अप्स पकाया दिल पर दा
जिना अप्स पकाया दिल पर दा
जिना अप्स पकाया दिल पर दा
जिना अप्स पकाया दिल पर दा
Sona chup करके मै फुका पुसट तू
Rakh Tīr होबान दपा जेते
Rakh Tīr होबान दपा जेते
गहतियां अखियां तेज कटतार होबां
गहतियां अखियां तेज कटतार होबां
पहले तो पिलाग कर यांखों से एक वाग सी दिल में भड़ता है
पहले तो पिलाग कर यांखों से एक वाग सी दिल में भड़ता है
आमल से हमारे देगे कर
आमल से हमारे देगे कर
अगुष मिलाया तर देगा
आमल से हमारे देगे कर
अगुष मिलाया तर देगा
अकने रदशीर
अकने रदशीर
अकने रदशीर
रोज टांके उधेड़े जाते हैं
रोज जखमें जिगर को सीता हूँ
जाने क्यूं लोग पढ़ना चहते हैं
अर मैं ना कुर्वान हूँ ना गीता हूँ
सारूं की पहारों
में भी कमर तुम अफ़ू सुन्दा से रहते हूँ
सारूं की पहारों में भी कमर
सारूं की पहारों में भी कमर
तुम अफ़ू सुन्दा से रहते हूँ
फूलों को तदेंगों काँडों की
फूलों को तदेंगों काँडों की
ठस ठसि के खुदारों कलते हैं
फूलों को तदेंगों
कांटों में बस हसी के खुजारा करते हैं
खफर मेरा तशीकल रहते चलते हैं
उलशंद में कवारा करते हैं
उलशंद में अपनी आवारों में
उलशंद में कवारा करते हैं