कब के बिछड़े हुए हम, आज कहां आके मिले
जैसे शम्मा से कहीं लाओ ये जिल में लाके मिले
आज कहीं लाके मिले
कब के बिछड़े हुए हम, आज कहां आके मिले
जैसे सावन से कहीं प्यासी घटा छाके मिले
कब के बिछड़े हुए हम
आज कहीं लाके मिले
जी कहां आती मिले कब के बिछले
बाद मुद्धत के रात महकी है
दिल धड़कता है सांस बहकी है
प्यार छलता है प्यास आखों से
सुर्फ होंटों पे आग दहकी है
मैं की हम्मा
वाओं में बहकी फिज़ाओं में दो प्यासे दिल यूं मिले
जैसे मैं कश
कोई सापी से धड मगा के मिले
तब के बिछले हुए हम आज
तहाँ हाँ के मिले
तब के बिछले
तो और शहनाई कीत गाते हैं
जिल के तारों को छेड जाती है
जिल के तारों को छेड जाती है
यूं सपनों के फूलें
यहाँ खिलते हैं यूँ दूआ दिल की रंग लाती है
बरसों के बेगाने उलपत के दीवाने अनजाने ऐसे मिले
अनजाने ऐसे मिले
जैसे मन चाही दूआ बरसों आजमा के मिले
कब के बिछडे हुए हम आज कहां आके मिले
जैसे सावाने
घंशे गाने सौन सी कहीं त्यासी घहरिता छाके मिले
कब के बिछडे हुए हम आज कहां आके मिले
कब के बिछडे
जी जी जी जी