मेरी नजर में आदमी यहाँ जिन्दा वही है
गलत को गलते जो कहें सही को कहता सही है
गलत को गलते जो कहें सही को कहता सही है
मेरी नजर में आदमी यहाँ जिन्दा वही है
गलत को गलते जो कहें सही को कहता सही है
वो मानस भी मर्या हुया जो नारी का अपमाने करें
वो मानस भी मर्या हुया जो गैरदीर पे ध्याने धरे
वो मानस भी मर्या हुया जो एकैने जुबाने फिरें
वो मानस भी मर्या हुया जो एकैने जुबाने फिरें
वो मानस भी मर्या हुया जो यारी मगर्दारी करता
वो मानस भी मर्या हुया जो सही काम करने से डरता
वो मानस भी मर्या हुया जो छूठी भरे गवाही वरता
वो मानस भी मर्या हुया जो अपना धर्म छोड़ते से
वो मानस भी मर्या हुया जो भाके कसम तोड़ते से
वो मानस भी मर्या हुया जो ब्याके बीर छोड़ते से
वो मानस भी मर्या हुया जो सच्चे के इलजा मिलावे
वो मानस भी मर्या हुया जो साच जान के न साच बतावे
वो मानस भी मर्या हुया जो अपने तहीं न दबावे
वो मानस भी मर्या हुया जो करके न एहसान जिनावे
वो मानस भी मर्या हुया जो किसे का एहसान बुलावे
वो मानस भी मर्या हुया जो दो प्यारों के मपूट दिलावे
वो मानस भी मर्या हुया जो किसे का एहसान बुलावे
मानस भी मर्या हुया जो दूसरे का हिस्सा खावे
ओ मानस भी मर्या हुया जो रन में जाकर पीठे देखावे
ओ मानस भी मर्या हुया जो बीच में साथ छोड़के जावे
ओ मानस भी मर्या हुया जो पास हो जिसके न बाते ज्ञाने
ओ मानस भी मर्या हुया जिसके धन हो पास करे मादाने
ओ मानस भी मर्या हुया जो चुठे करता फिरे आलाने
ओ मानस भी मर्या हुया जो नहीं समय पे काम
नामे करे वो मानस भी मर्या हुया जो ना अपना जग में नामे करे वो मानस भी मर्या हुया जो वो रूपे इलजा में धरे
वो मानस भी मर्या हुया जो खुल के बात नहीं कह सकता
वो मानस भी मर्या हुया जो जूट के साथ नहीं है सकता
वो मानस भी मर्या हुया जो जरा सा गस्त नहीं सहसकता
वो मानस भी मर्या हुया जो दर के छोड़ दे सचाई
वो मानस भी मर्या हुया जो जान बूज के करे बुराई
वो मानस भी मर्या हुया जो घमण के कारण करे लडाई
वो मानस भी मर्या हुया जो गलती कर गलती ना माने
वो मानस भी मर्या हुया जो अपना खोँ दूसरे के कहने
वो मानस भी मर्या हुया जो ब्यारे के दिल की ना जाने
वो मानस भी मर्या हुया जो रच के धोंग बने सेज्ञानी
वो मानस भी मर्या हुया जो जान बुझ के बने अज्ञानी
वो मानस भी मर्या हुया जिने गुरू की बात नहीं मानी
वो मानस भी मर्या हुया जो अपने देश के दगा कमाता
वो मानस भी मर्या हुया करे उसमें छेद है जिसमें खाता
वो मानस भी मर्या हुया जो अपने आप को कहे विभाता
वो मानस भी मर्या हुया जो मात पिता
को जाली देता मात पिता भगवान रूप जैसे पोधों में जल माली है देता
वो मानस भी मर्या हुया जो सही बात पर न ताली देता
वो मानस भी मर्या हुया जो नहीं बड़े का आधर करता
वो मानस भी मर्या हुया जो नहीं पाप करने तै दर्ता
वो मानस भी मर्या हुया भगवान भजन बिन यूही फिरता
वो मानस भी मर्या हुया से जिसके प्यार नहीं है मन में
वो मानस भी मर्या हुया जो रहता है दो गले पण में
वो मानस भी मर्या हुया जिकी अरपल नीत रहे से दन में
वो मानस भी मर्या हुया जो ओरो की उन्नति से जलता
जो ओरा की मदद करे से उसका नाम सदा है सलता
वो मानस भी मर्या हुया जो सचाई से हन्दे कलता
वो मानस भी मर्या हुया जो सच को जूट बढ़ाता है
वो मानस भी मर्या हुया जो ओरो की थीम चुराता है
वो मानस भी मर्या हुया जो छाप काट के गाता है
राम के सारी वो जाने, राम के सारी वो जाने, जिसके हाथ में बही है
गलत को गलते, जो कहे सही को, कहता सही है
मेरी नजर मैं आदमी, मेरी नजर मर आदमी, जिन्दा वही है
गलत को गलते, जो कहे सही को, कहता सही है
रहता सही है