राजा को समझाया
परन्तु महराज अब दुर्यूदन ने देखा कि मेरे पिता को भढका रहा है
उसकी सामय उसने कहा सेने को आओ इस विदुर को भार निकाल दोगी है
पुल द्रोही है
विदुर जी बोले मैं अपने आप ही चला जाओगा
विदुर जी चले
महराज संतो का विश्ठ धरन कर लिया
वर्षों तक घूमे और एक दिन उनको पता चला कि
कौरब पांडम में युद्ध हो गया कौरब भार गये
पांडम जीद गये
पांडमें उनका राज्य मिल गया
और उनको उद्धब जी मिले है तो विदुर जी ने उद्धब जी चे प�
ये विदुर जी भगवान तो अपने धाम को चले गये उनको
तो अपनी समस्य लिलाव को विश्राम दे के चले गये
और वो कहकी गये थी यदि विदुर जी मिले है तो
उनसे कह दे ना आप जगर के मेठ्रि मुनी से मिल गये
आज विदुर जी चले मेठ्रि मुनी के पास गये और उनसे प्रश्न किया गुर्देव
आप ये बताये कि जीव जीवन में सुख चाता है पर सुख मिलता क्यों नहीं है
कहा इसे
परत्वी का जो नाम है इसका नाम दुख खाल है
आप माराड डॉक्टर के दुकान पे जाओ और उससे
कहो भाईया दो किलो सेव देना दो किलो आम देना
तो वो क्या कहेगा अरे भाईया फलवाल दुखान पे जाओ
कोई दुखान तो यी भी है ये तो दवाई की दुखान है
तो वहाँ दवाई मिलेगी
उसी प्रगार इस परत्वी का नाम दुख खाल है इसमें दुख ही मिलेगा
का आप चिंता ना करो मैं आपको काल की गती का वर्णन सुनाता हूँ
का दो परमणु मिलकर एक अडु बनता है तीन अडु मिलकर
एक लब बनता है तीन लब मिलकर एक निमेश बनता है
और तीन निमेश मिलाकर के एक काश्टा बनती है पंधरा काश्टा
मिलाकर एक लगु बनता है और पंधर लगु मिलाकर एक नाडेगा बनती है
तीन गंते का एक तिनρωक का हिआ खुदाता
है दो पक्ष परत के तन्दन ही युते है
अगर हम Whew Chakra हम्लोगों का
एक वर्स और पित्र लोग का एक दिन बराबर है।
और हम्लोगों का
जब एक वर्स कुरा होता है,
तब जाएकर कि पित्र लोग का एक दिन कुरा है।
और जब हमारे
हजार वर्ष पूरी होते हैं तब जाय करके इंद्रलोक
का अर्थात स्वर्गलोक का एक दिन पूरा होता है
और जब चारो युग एक हजार वर निकल जाते हैं
तब जाय कर ब्रह्मा जी के बारा घंटी पूरी होते हैं
और जब भगवान ब्रह्मा जी के सौ वर्ष पूरी होते
हैं तब भगवान नारेन की एक बार पलक सखते हैं
किती लंभी आयोगे भगवान विश्णो की
इसका कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता है
संपुर्ण कल की गती को सुनाया