जयती देधिकं
जन्मनाब्रजान्
स्रियते इन दिराः सासोखत्रहिल्
दहीत द्रेशता
बीच्चुतावकाण वही ददावाद सांबिच्छिन्दते
अरदूदासे
सादुजातस सरस जोगध सीमुकाधसा
सुरत नातने
असल कि दासी का
परदनी
का तोनी है क्यूं बदा
पीश
चला पया ग्याल राख सा बर्ज
मारता वेद तानला
वेश
मयात्मज्या
भीश्वतो
भया
जिशबुते भयमो प्राचितावः
जिशवर्ण
तरवण पिखन साफितो
भीश्वगुब्तए
सकेवदेवा
सात्वतं पुरे
भीरेचितावया
ब्रेश्विदूर्यते चरने मी युशा
संस्ते भया
खर
सरोरुहमो कांत कांप जाओ
सीनसे देहिनाव जीकरब्रहो
प्रेजि जनात्य भीर यूशिका
कुनुआज सहार थे जिशवर्ण तरवण पिखन साफितो भीश्वगुब्ते
प्रनत देही ना पाप कर सनाओ
पने जरा
नगाओ
लीन के तनो
पनी पणार्पिताओ ते
पदामुजाओ तेनो कुछे सुना तेन भेख जाओ
ते नगाओ तो तो तरेख
जना
जीधि करेदि माँ
जीजि मुझे
यतेद्रधर सी दुनाः शायय सुनाः
तो
ताप्त जीवियों कवेबिरेडि तो कर्मसापों
वहने मंगलाओ
स्लीमजाः तताओ
दुविग्रणथिते वुज्ञिदाजनाः
वितमप्रियों
पेम्वीच्छणों विरणम्चति ज्ञानमंगलाओ
नसिशंविदों याइन्वित्वसाः दुहग्नों वनाः चोवयते
दुविग्रणथिते वुज्ञिदाजनाः वितमप्रियों वितमप्रियों वितमप्रियों
खणत कामणों पदम जारजिताओं धरनमंगलाओं नेमाबदी
शरणपंक जाओं संग्गतंचते नमणनाः नेश्वर्मयादियं
सुरत्वर्धनों सोकनासनों सुरत्वेरोंना सुष्टचूंबताओं
जितरराजवेर मारनोंनना जितरवीरनस्तेधरामताओं
आटतियदभावा
नहीं काननमु प्रिवर्युगार्यते तामपश्चताओं उतिनकुंदनमु
श्रीमुखमचते जड़े उधीखिताओं पश्मक्रद्रशाओं
पतिसुतादवयाओं ब्राक्रभांतवा नतविलडगते यच्चितावताओं
अच्छिविदस्तवोड ईत्मोहिता इतवयोशितादस्तजेन्यसिद्धावजिशम्पिदाओं
जिक्ष्योदयाओं प्रईसिताननमु प्रेम्विक्षणवं
जहदुरात्रियोऽं जीक्ष्योधामते ओंरतिष्पहा ओंयंतेमनाव्
पदिबनो कसाव्यक्तिरंगते जदजनद्रयोऽं विश्वमंगलाओं
हजमनाकचानत्तुस्वहात्तुजंदुजाओं जन्यदूशनों
जन्यदूशनों जन्यदूशनों
यत्तेः पुजात चरणापुर्भमस्तेस्तनेशु
भीतासनैप्रिदजमही करदसेशु