रजगी अमजी हे कोना
रजगी अमजी कोना
रोजे रोजे सपन में हो जाता बान
अब नहीं सवियाजी को रोग बसान
मुझे धंदान
रोजे रोजे सपन में हो जाता बान अब नहीं सवियाजी को रोग बसान मुझे धंदान
जावानी है नरंणरां आदे है भै उखरंगरां
रजगी अमजी हे कहा जावानी कोई से सहाँ
पुख बूझीना
तजेकि हमने जीवेजी भावान जावानी कोई से सहाँ
सहले सहाँ पनाइखे मराई जावानी उपर से निजेले चूआप सापान
मन रह जापता खाली जो से जाइके खोबपरी हमने भाइके
से जीपरो बंसी परां जेसे कहा भावाईसे
लगा रजगी अमजी हे कहा जावानी कोई से सहाँ
अमजी हमने जीवेजी भावान जावानी कोई से सहाँ
भावत धरा के सवियां सेवा नाइंटी कारां
थेरा देन हो गयू जोटे नाइंटी लारां
हम चारती ये पिराँ जाईंगो कब तांस मिले न दो
जितवाई यबनावाद से भैलाई के भरा रजगी
हमने जीवेजी हे कहा जावानी कोई से सहाँ