परकालकर बिजित बालो मियादो
पानी छोरता,
चटचट चईत तवा सक्षिरे देहिया पानी छोरता
चईतने बढल परसानी जावानी हमर हानी हो ख़ता
चईतने बढल परसानी जावानी हमर हानी हो ख़ता
एशकी काकोई हो,
एही चैत के महिनामे सैया हमर पर्देश बसता
रे,
आ कैसे जिन्दी कटावा तानी एशकी,
बतावा
निर्दाई हो गईनी हमार राजाजी हो
चईतने बढल परसानी जावानी हमर हानी हो ख़ता
कटनी से खटनी होके
दरद उठे याँगमे,
पर्देशी बलम मोरा बारेन शौँगमे,
एशकी काकोई हो
कटनी से ख़तनी होके
दरद उठे याँगमे, पर्देशी बलम मोरा बारेन शौँगमे,
केहुशीला केहु करीना राणी बोलता,
चैतने बढल परसानी जावानी हमर हानी हो ख़ता,
एहो
काकोई शकी,
काले एह भिजित बालम के मुवाईल से फोन कैले राणी,
एको दारी प्लाई याँ रैके देतानी,
मैं लगता जावानी अपन लोन पर लगादिये शकी हो,
चैतने बढल परसानी जावानी हमर हानी हो ख़ता,
बालम के फोन पर अइना ही राजा देहो,
जावानी आके लोन पर,
एह राजा भाया,
देखो रतिया,
अपना मर्दा से तौंगबारी हो,
काले समोजनी
भिजित बालम के फोन पर, अइना ही राजा देहो,
जावानी आके लोन पर,
लुटेला हारे हमर देवरा संकरवाद,
बानी छो रता,
छो इतने बडल परसानी जावानी हमर, आने हो काता,