जात पात पुछे नहीं कोई
हरी के भजे से हरी के होई
आई आँश संकल्प लिहल जाओ
कि जात पात के लेके आपस में नहीं खेल डड़की
कहें से कि हमने के जितना लड़व जाओ
उतने मरव जाओ
आई यही पे गवाधारित गीत सुनावतन
राम जी से सीखीं अउरी
सब के सिखाईं
जात पात के भेद भाव ये भईया मिटाईं
जात पात के भेद भाव ये चाचा मिटाईं
नाही पूछे हावा पानी सुरुज गंगा माई जाती ना पूछे ला डक्टर दबाई
पाछो यंगुरी मिली तबे मुठी बनाई
पाछो यंगुरी मिली तबे मुठी बनाई
जात पात के भेद भाव ये
भाईया मिटाईं
जो तोने बताई लोगावा उतने कटाई एक जूत होके सब हे सक्ती बढाई
जो तोने बताई लोगावा उतने कटाई एक जूत होके सब हे सक्ती बढाई
कोहेल कोलूपावन
सनातन बचाईं
जात पात के भेद भाव ये भाईया मिटाईं